सूरत की लाजपोर जेल में कैदी के प्राइवेट पार्ट में छिपे मिले तीन मोबाइल फोन और चार्जर
जेल स्टाफ की सतर्कता से खुला मामला, एफएसएल जांच और गहन पूछताछ से जुड़े अन्य आरोपियों की तलाश जारी
सूरत। लाजपोर सेंट्रल जेल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां हत्या और लूट के गंभीर आरोपों में बंद एक कैदी ने अपने गुप्तांगों में तीन मोबाइल फोन और एक चार्जर छिपा रखा था। यह घटना उस समय उजागर हुई जब जेल लौटते समय कैदी की रूटीन जांच के दौरान मेटल डिटेक्टर ने संदिग्ध गतिविधि दर्ज की।
कैदी जगतार सिंह उर्फ सरदार मानसिंह चमनलाल गडरिया (कैदी नंबर 2664) को आईपीसी की धाराओं 302, 394 और 120 (बी) के तहत हिरासत में रखा गया है। 14 मई को इलाज के बाद उसे न्यू सिविल अस्पताल से जेल लाया गया था।
शाम करीब 6:25 बजे, गेट रजिस्टर में एंट्री के बाद कैदी को नियमानुसार जांच कक्ष में ले जाया गया, जहां एसआरपी स्टाफ ने जब हैंड-हेल्ड मेटल डिटेक्टर (HHMD) से उसकी तलाशी ली, तो उसके प्राइवेट पार्ट के पास से सिग्नल मिला।
संदेह के आधार पर कैदी को तत्काल जेल अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। इसके बाद सुरक्षा व्यवस्था के साथ उसे दोबारा न्यू सिविल अस्पताल जांच के लिए भेजा गया। वहां, रात 8:50 बजे जांच के दौरान कैदी के अंडरवियर से एक पैकेट बरामद हुआ, जिसमें तीन मोबाइल फोन और एक चार्जर बहुत कसकर टेप से लपेटे हुए थे। इन्हें छिपाने के लिए कार्बन पेपर का भी इस्तेमाल किया गया था।
प्रेस नोट में अभियोजन अधिकारी ने कहा कि इस मामले में केवल कैदी ही नहीं, बल्कि जेल स्टाफ, अन्य कैदियों, या अस्पताल में कैदी से संपर्क में आए किसी बाहरी व्यक्ति की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। इस कारण गहन जांच की जा रही है और मोबाइल फोन को फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) भेजा गया है। फोन में मौजूद डेटा और कॉल रिकॉर्ड के जरिए संभावित संपर्कों की पहचान की जाएगी।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर भारतीय दंड संहिता (IPC-2023) की धारा 223 और जेल अधिनियम की धारा 42, 43 व 45(12) के तहत केस दर्ज किया गया है। कैदी जगतार सिंह के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज की गई है और उससे आगे की पूछताछ भी की जा रही है।
यह घटना जेल सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। सवाल यह भी उठता है कि इतने संवेदनशील उपकरण जेल के भीतर कैसे पहुंचे और क्या इसमें जेल के किसी अंदरूनी व्यक्ति की मदद मिली।
इस मामले ने जेल प्रशासन की निगरानी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है और आने वाले दिनों में इस घटना के और भी बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।