एक बच्चे के आंसुओं से शुरू हुआ संकल्प, अब धरती की मुस्कान बन रहा है
विशेष रिपोर्ट | उदयपुर
शाम का सन्नाटा था और एक मासूम बच्चा एक फलवाले की ठेली को देखता रहा…
आंखों में चमक थी, लेकिन चेहरा बुझा हुआ।
उसने पिताजी से कहा —
“पिताजी, एक केला दिला दो।”
पैसे जेब में थे, लेकिन उत्तर मिला —
“अभी नहीं, बाद में।”
उस बच्चे की आंखों से निकले आंसू शायद उस वक्त किसी को नहीं दिखे,
लेकिन उन्हीं आंसुओं में एक संकल्प जन्म ले चुका था —
अब ज़िंदगी मांगकर नहीं, खुद बनाकर जिऊंगा।
वही बच्चा आज है — संदीप चौधरी
Save Earth Mission के National President (India Chapter)
और मल्टीमिलियन-डॉलर स्टार्टअप्स के निर्माता।
- 1996 में Bhartiya Central Academy, गुढ़ा गोरजी में पहली बार कंप्यूटर देखा।
- फ्लॉपी डिस्क से शुरू हुआ तकनीकी सफर, स्टार्टअप्स और इनोवेशन की क्रांति बन गया।
- 2010 में मिस इंडिया से शोरूम का उद्घाटन
- 2012 में DLB Group की स्थापना
- 2014 में दुबई में कंपनी की शुरुआत
- 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ से भेंट
- Cannes Film Festival में फिल्म का चयन
ये सब उस संघर्ष की गवाही देते हैं जो एक बच्चे ने केले के लिए रोते हुए शुरू किया था।
उन्होंने BankSathi जैसे सफल स्टार्टअप्स को सह-स्थापित किया, और फिर छोड़ दिया —
क्योंकि उनका असली लक्ष्य अब सिर्फ मुनाफा नहीं था, बल्कि पृथ्वी को मुस्कराना था।
आज वे अपना 102वां स्टार्टअप लॉन्च करने जा रहे हैं —
एक ऐसा ग्रीनटेक वेंचर,
जो न सिर्फ़ इनोवेशन, बल्कि पर्यावरण के पुनर्निर्माण का युग शुरू करेगा।
Forbes Panama की रिपोर्ट में इसे
“From Vision to Impact”
कहा गया है।
और अब,
यह बच्चा जो कभी केले के लिए रोया था,
2040 तक 3000 करोड़ वृक्ष लगाने के मिशन का चेहरा बन चुका है।
🌱 आंसुओं से निकले संकल्प जब मुस्कराहटों में बदलते हैं — तब इतिहास बनता है।
और संदीप चौधरी वही इतिहास लिख रहे हैं।