सूरत : चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा पूंजीगत लाभ और पुनर्मूल्यांकन पर सेमिनार आयोजित

एसजीसीसीआई और एसजीआईटीबीए द्वारा संयुक्त आयोजन, विशेषज्ञों ने आयकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं पर दी विस्तृत जानकारी

सूरत : चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा पूंजीगत लाभ और पुनर्मूल्यांकन पर सेमिनार आयोजित

सूरत । दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (SGCCI) और दक्षिण गुजरात इनकम टैक्स बार एसोसिएशन (SGITBA) के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को सूरत के नानपुरा स्थित समृद्धि भवन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों पर केंद्रित एक अध्ययन सत्र का आयोजन किया गया।

सेमिनार में पूंजीगत लाभ, मूल्यांकन और पुनर्मूल्यांकन से जुड़े तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर गहन चर्चा की गई। इसमें चार्टर्ड अकाउंटेंट सीए सपनेश सेठ और सीए डेलज़िन मदान ने विशेषज्ञ वक्ताओं के रूप में अपने विचार प्रस्तुत किए।

सीए सपनेश सेठ ने आयकर अधिनियम की धारा 2(14) के अंतर्गत पूंजीगत परिसंपत्ति की व्याख्या करते हुए बताया कि इसमें वह सभी संपत्तियां आती हैं, जिन्हें करदाता ने किसी भी उद्देश्य से धारित किया हो — चाहे वह पेशेवर हो या व्यक्तिगत। हालांकि, इसमें व्यापारिक स्टॉक, व्यक्तिगत उपयोग की संपत्ति, भारत की कृषि भूमि और कुछ विशेष सरकारी बांड शामिल नहीं होते।

उन्होंने हालिया परिवर्तनों की जानकारी देते हुए बताया कि अब अचल संपत्तियों की बिक्री पर बिना इंडेक्सेशन के 12.5% की फ्लैट टैक्स दर 23 जुलाई 2024 से लागू की गई है। साथ ही, नई व्यवस्था के तहत करदाताओं को अधिक स्पष्टता और रियायतें प्राप्त हो रही हैं।

सीए डेलज़िन मदान ने आयकर रिटर्न के पुनर्मूल्यांकन से जुड़ी धारा 148, 153, 139 और 158 की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यदि कर अधिकारी को यह संदेह हो कि करदाता ने आय छिपाई है, तो वह धारा 148 के तहत पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी कर सकता है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आयकर अधिनियम की धारा 158, जो 1995 से 2004 के बीच प्रभावी रही, विशेष रूप से तलाशी और जब्ती मामलों के लिए ब्लॉक मूल्यांकन पद्धति का प्रावधान करती थी। वर्तमान में इसे धारा 153ए और 153सी ने प्रतिस्थापित किया है, जो अब नए तलाशी मामलों पर लागू होती हैं।

सेमिनार की शुरुआत एसजीआईटीबीए के पूर्व अध्यक्ष अनिल शाह के स्वागत भाषण से हुई। एसजीसीसीआई की आयकर समिति के सह-अध्यक्ष  तिनिश मोदी ने विशेषज्ञों का परिचय कराया और समिति के अन्य सह-अध्यक्ष दीपेश शकवाला ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम का समापन एडवोकेट बाबूभाई डोमडिया के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

इस अवसर पर कर सलाहकारों, सीए, कर अधिवक्ताओं और व्यापारिक संगठनों के सदस्यों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही, जिन्होंने कर से जुड़े तकनीकी विषयों पर जानकारी प्राप्त की और अपने सवालों के उत्तर भी पाए।

इस तरह का आयोजन न केवल कर विशेषज्ञों के लिए ज्ञानवर्धक सिद्ध हुआ, बल्कि व्यापारिक समुदाय को भी कर नियोजन और अनुपालन के क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करता है।

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