सूरत : एमजी मार्केट में फैंसी साड़ियों से लेकर लहंगे तक, कपड़ा व्यापार की मजबूत पहचान
1982 से स्थापित इस मार्केट में 80 दुकानों के माध्यम से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना तक पहुंच, व्यापारियों ने दलालों से सतर्क रहने की अपील की
सूरत के रिंग रोड स्थित एमजी मार्केट शहर के पुराने और प्रतिष्ठित कपड़ा बाजारों में से एक है, जिसकी स्थापना वर्ष 1982 में मोहम्मदभाई सुरती के करकमलों से हुई थी। आज यहां करीब 80 दुकानों के माध्यम से फैंसी साड़ियों, प्रिंटेड साड़ियों, वर्क साड़ी और लहंगे का विविध व्यापार होता है।
मार्केट के सचिव संदीप शाह ने बताया कि मार्केट के प्रमुख मदन बाफना हैं और दोनों की संगठन में अहम भूमिका रही है। शाह के अनुसार, यह मार्केट हर रेंज और हर गुणवत्ता की साड़ियों के लिए जानी जाती है, जिससे व्यापारी देशभर के विभिन्न राज्यों से जुड़ते हैं।
विधि प्रिंट्स के संदीप भाई ने बताया कि उनकी दुकान फैंसी साड़ियों के लिए जानी जाती है और मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश व तेलंगाना के व्यापारी उनके ग्राहक हैं।

महारानी दुकान के महेंद्र सोलंकी, जो 35 वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं, ने बताया कि उनकी दुकान पर प्रिंटेड और फैंसी वर्क साड़ियां 145 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक में उपलब्ध हैं। सोलंकी ने डिजिटल मार्केटिंग से कपड़ा मार्केट में 50 प्रतिशत गिरावट आने की बात कही और ऑफलाइन व्यापार को अधिक विश्वसनीय बताया।
समधन दुकान के अरुण अग्रवाल, जो 2001 से व्यापार कर रहे हैं, ने बताया कि उनके यहां 100 से 2000 रुपये तक की सभी रेंज की साड़ियां उपलब्ध हैं। वे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से व्यापार करते हैं और 'समधन' नाम से यूट्यूब चैनल के ज़रिए भी प्रचार-प्रसार करते हैं।
अग्रवाल ने एक गंभीर मुद्दा उठाते हुए कहा कि मार्केट के बाहर के दलालों से व्यापारी सतर्क रहें, क्योंकि आजकल रिक्शा चालक से लेकर होटल कर्मी तक दलाली में शामिल होकर व्यापार को नुकसान पहुँचा रहे हैं। साथ ही, उन्होंने ऐसे फर्जी दुकानदारों के खिलाफ भी आगाह किया जो ऑनलाइन पेमेंट लेकर कपड़ा नहीं भेजते। आख़िर में उन्होंने समाज को जागरूक करते हुए एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश भी दिया- "बेटी नहीं बचाओगे, तो बहु कहां से लाओगे?"