सूरत : नई सिविल अस्पताल में तीन स्थायी नर्सिंग अधीक्षकों की नियुक्ति, स्वागत में सामाजिक जागरूकता का संदेश
नर्सिंग स्टाफ ने अंगदान, जल संरक्षण और नशामुक्ति जैसे सामाजिक मुद्दों को पोस्टरों और संकल्पों के माध्यम से जोड़ा स्वागत समारोह से
सूरत : राज्य सरकार द्वारा सूरत के नए सिविल अस्पताल में तीन स्थायी नर्सिंग अधीक्षकों की नियुक्ति के साथ ही अस्पताल में सेवाओं की गुणवत्ता को नई दिशा मिली है। नियुक्त किए गए अधीक्षकों जिगिशा श्रीमाली, नीरजा पटेल और स्टेफी क्रिश्चियनका स्वागत अस्पताल के नर्सिंग एवं मेडिकल स्टाफ ने पारंपरिक फूलों के बजाय अंगदान, जल संरक्षण और नशामुक्ति जैसे सामाजिक संदेशों से किया।
इस अवसर पर स्टाफ ने अस्पताल परिसर में तख्तियां और पोस्टर लगाकर सामाजिक जागरूकता अभियान चलाया। कर्मचारियों ने नारे लगाकर रोगी सेवा, देखभाल और मानवीय संवेदनाओं के साथ स्वास्थ्य सेवा देने का संकल्प लिया। कार्यक्रम की प्रेरणा अंगदान महादान अभियान के प्रणेता दिलीपदादा देशमुख से मिली, जिनके प्रयासों से अंगदान की दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
कार्यक्रम में नगरसेवक वृजेश उनडकट, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. धारित्री परमार, प्लास्टिक सर्जन डॉ. नीलेश काछड़िया, गुजरात नर्सिंग काउंसिल के उपाध्यक्ष इकबाल कड़ीवाला, नर्सिंग एसोसिएशन अध्यक्ष अश्विन पंड्या, डॉ. लक्ष्मण तहलानी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इकबाल कड़ीवाला ने जानकारी दी कि जीपीएससी के माध्यम से राज्यभर में 16 स्थायी नर्सिंग अधीक्षक पदों पर भर्ती की गई है, जिनमें से तीन सूरत में नियुक्त हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि नर्सिंग शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 22 प्रिंसिपल पदों पर भी भर्ती निकाली गई है।
उन्होंने कहा, “2014 से अब तक 20,000 से अधिक नर्सों की भर्ती की जा चुकी है, जो देश में किसी एक राज्य द्वारा की गई सबसे बड़ी संख्या है। इससे नर्सिंग क्षेत्र को स्थायित्व और मजबूती मिलेगी।”
नगरसेवक वृजेश उनडकट ने कहा कि इस ऐतिहासिक नियुक्ति और भर्ती से सूरत के नागरिकों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त होंगी। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान अस्पताल की नर्सिंग टीम की सेवाओं की विशेष प्रशंसा की।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने ब्रेन डेड मामलों में अंगदान के महत्व, नशा छोड़ने की प्रेरणा, और वर्षाजल संचयन जैसे विषयों पर सामूहिक संकल्प लिया, जिससे यह स्वागत समारोह एक सामाजिक जागरूकता अभियान में बदल गया।