अहमदाबाद : राज्य के शहरी विकास प्राधिकरणों के क्षेत्र में शामिल गैर-टीपी क्षेत्र के भूमि धारकों को मिलेगी राहत

भूमि धारकों को वर्तमान में देय प्रीमियम में राहत प्रदान करने वाला महत्वपूर्ण निर्णय

अहमदाबाद : राज्य के शहरी विकास प्राधिकरणों के क्षेत्र में शामिल गैर-टीपी क्षेत्र के भूमि धारकों को मिलेगी राहत

अहमदाबाद, 26 अक्टूबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य के 8 शहरों और भरूच-अंकलेश्वर शहरी विकास प्राधिकरण के क्षेत्रों में शामिल गैर-टीपी (टाउन प्लानिंग) क्षेत्र के भूमि धारकों को वर्तमान में देय प्रीमियम में राहत प्रदान करने वाला महत्वपूर्ण निर्णय किया है।

इस निर्णय के अनुसार, डी-1 श्रेणी में आने वाले अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण (औडा), गांधीनगर शहरी विकास प्राधिकरण (गुडा), सूरत शहरी विकासक प्राधिकरण (सुडा), वडोदरा शहरी विकास प्राधिकरण (वुडा) और राजकोट शहरी विकास प्राधिकरण (रुडा) तथा डी-2 श्रेणी में आने वाले जूनागढ़ शहरी विकास प्राधिकरण (जुडा), जामनगर शहरी विकास प्राधिकरण (जाडा) और भावनगर शहरी विकास प्राधिकरण (भाडा) के क्षेत्रों के अलावा भरूच-अंकलेश्वर शहरी विकास प्राधिकरण के क्षेत्रों में शामिल गैर-टीपी क्षेत्र में 40 फीसदी कटौती के बाद 60 फीसदी भूमि पर प्रीमियम वसूल किया जाएगा।

मुख्यमंत्री के इस निर्णय के परिणामस्वरूप राज्य के डी-1 और डी-2 श्रेणी के 8 शहरों और भरूच-अंकलेश्वर शहरी विकास प्राधिकरण के क्षेत्रों में शामिल गैर-टीपी क्षेत्र के भूमि धारकों को कटौती में जाने वाली भूमि पर देय प्रीमियम से मुक्ति मिलेगी और उन्हें 40 फीसदी कटौती के नियम के बाद केवल बाकी बचे निर्दिष्ट भूखंड के अंतिम हिस्से के क्षेत्र पर ही प्रीमियम देना होगा। सरकार के इस निर्णय से गैर-टीपी क्षेत्र में 40 फीसदी कटौती की जमीन पर देय राजस्व प्रीमियम की राशि से मुक्ति मिलने के कारण निर्माण क्षेत्र में प्रॉपर्टी की कीमतों में गिरावट आएगी और उसका सीधा लाभ मध्यम वर्ग के परिवारों को मिलेगा।

मुख्यमंत्री के समक्ष ऐसे अनेक मामले आए थे, जिनमें राज्य में इन शहरी विकास प्राधिकरणों में शामिल क्षेत्रों में ऐसे गैर-टीपी क्षेत्रों जहां नगर नियोजन योजना की घोषणा नहीं हुई है, वहां 40 फीसदी भूमि कटौती के बाद प्लॉट वैलिडेशन सर्टिफिकेट यानी भूमि सत्यापन प्रमाण पत्र जारी कर भूखंड के अंतिम हिस्से का आवंटन किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप कब्जेदार को अंतिम हिस्से के रूप में 60 फीसदी और संबंधित प्राधिकरण को कटौती के रूप में 40 फीसदी भूमि संप्राप्त होती है। ऐसे मामलों में कब्जेदार से शेष बची 60 फीसदी भूमि या वास्तविक कटौती के बाद बची भूमि के लिए ही कृषि से कृषि और कृषि से गैर-कृषि भूमि रूपांतरण के लिए प्रीमियम वसूल करना चाहिए।

इतना ही नहीं, जिन क्षेत्रों में टीपी लागू है, वहां कटौती और मिलने योग्य भूमि के नियम का अनुपात 40 और 60 फीसदी का है। इसी प्रकार, जहां विकास योजना (डीपी) लागू हुई हो, वहां भी यही 40-60 फीसदी का अनुपात रखना चाहिए। मुख्यमंत्री के समक्ष ऐसी शिकायतें भी आई थीं कि वर्ष 2018 के प्रस्ताव के प्रावधानों के अनुसार टीपी क्षेत्र या ऐसा क्षेत्र जहां टीपी लागू करने की मंशा व्यक्त की गई है, वहां ‘एफ’ फॉर्म के क्षेत्रफल के अनुसार या 40 फीसदी कटौती के नियम को ध्यान में रखकर भूखंड के अंतिम हिस्से पर कृषि से कृषि और कृषि से गैर-कृषि का प्रीमियम वसूल करना निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार, गैर-टीपी क्षेत्र में भी 40 फीसदी कटौती के नियम को ध्यान में रखकर बाकी बची भूमि के क्षेत्रफल के आधार पर प्रीमियम वसूल किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने उनके समक्ष आए इन विभिन्न मामलों का व्यापक अध्ययन करने के बाद उस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय किया है। अब, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य के डी-1 और डी-2 श्रेणी के तथा भरूच-अंकलेश्वर शहरी विकास प्राधिकरणों के ऐसे गैर-टीपी क्षेत्र जहां टीपी लागू नहीं हुई है, वहां अब से संबंधित प्राधिकरण से वैलीडेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद बाकी बची 60 फीसदी भूमि पर कृषि से कृषि और कृषि से गैर-कृषि भूमि रूपांतरण का प्रीमियम वसूल करने के दिशा-निर्देश दिए हैं।