सूरत : आरक्षण अधिकारों को लेकर अप्रवासी समुदाय का धरना प्रदर्शन
जाति प्रमाणपत्रों को लेकर उठा विवाद, शिक्षा और रोजगार में आरक्षण से वंचित होने का आरोप
सूरत: गुजरात में एससी, एसटी, ओबीसी समुदाय के छात्रों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मिलने वाले आरक्षण के अधिकारों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। सूरत शहर में महाराष्ट्रीयन समुदाय के नेतृत्व में अप्रवासी, अल्पसंख्यक समुदाय ने जाति प्रमाणपत्रों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
महाराष्ट्रीयन समुदाय के नेता सूरेश सोनवणे ने बताया कि, "हम पिछले कई दशकों से गुजरात को अपना घर मानते हैं। लेकिन, जाति प्रमाणपत्रों को लेकर 1-4-1978 की लगाई गई शर्तों के कारण हम और हमारे बच्चे शिक्षा और रोजगार में आरक्षण के लाभ से वंचित रह गए हैं।"
समुदाय के लोगों का आरोप है कि राज्य सरकार द्वारा लगाई गई शर्तों के कारण एससी, एसटी, ओबीसी समुदाय के लोगों को गुजरात राज्य जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने में काफी मुश्किलें आ रही हैं। जिसके परिणामस्वरूप वे संवैधानिक अधिकारों से वंचित हो रहे हैं।
समुदाय के लोगों ने गांधी जयंती के दिन से अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है और उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लाभ देने के लिए शर्तों में ढील दी जाए।
धरना स्थल सूरत जिला सेवा सदन पर मौजूद प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उनके पास गुजरात राज्य निवास प्रमाण, राशन कार्ड, चुनाव कार्ड, आधार कार्ड जैसे सभी आवश्यक दस्तावेज हैं, फिर भी उन्हें जाति प्रमाणपत्र नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।