हमीरपुर में किसानों ने अब शुरू की पिपरमेंट की खेती

मोटी कमाई के लिए खेतों में की गई रोपाई

हमीरपुर में किसानों ने अब शुरू की पिपरमेंट की खेती

हमीरपुर, 08 अप्रैल (हि.स.)। बुंदेलखंड क्षेत्र के हमीरपुर जिले में दैवीय आपदा की मार झेल रहे किसानों ने अब पिपरमेंट की खेती शुरू की है। सौ दिनों में तैयार होने वाली पिपरमेंट की फसल से चार गुनी आमदनी हासिल करने के लिए किसानों ने खेतों में रोपाई भी कर दी है। किसानों में भी इसकी खेती को लेकर उत्साह भी देखा जा रहा है।

बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले में सरीला, गोहांड और राठ क्षेत्र के तमाम गांवों में किसान पिछले कई सालों से दैवीय आपदा की मार झेल रहे हैं। परम्परागत खेती में हर साल बड़ा नुकसान उठाने वाले किसानों ने इसीलिए कम लागत वाली फसलों की खेती की तरफ कदम बढ़ाए हैं। यहां के किसान इस बार पिपरमेंट की खेती की तैयारी में जुट गए हैं। कम लागत में इसकी खेती से यहां के किसानों की तकदीर बदल जाएगी। गोहानी राठ के प्रगतिशील किसान राजेन्द्र सिंह व चिल्ली राठ के रघुवीर सिंह ने बताया कि पिपरमेंट की खेती वैसे तो फरवरी के आखिरी माह से शुरू होती है लेकिन अबकी बार जनवरी और फरवरी महीने में लगातार बारिश और ओलावृष्टि ने रबी की फसलों को तगड़ा झटका दिया है।

उन्होंने बताया कि किसी तरह दलहनी फसलें तैयार करने के बाद अब पिपरमेंट की खेती के लिए रोपाई शुरू कर दी गई है। किसानों का कहना है कि पिपरमेंट की खेती के लिए दोमट और मटियारी जमीन बहुत ही मुफीद होती है। गोबर की सड़ी खाद डालना बहुत ही लाभप्रद रहता है। खाद डालने के बाद पाटा लगाकर रोपाई के लिए खेत को समतल किया गया है। इसके बाद खेत में हल्का पानी दिया जाएगा। जिला उद्यान अधिकारी रमेशचन्द्र पाठक ने बताया कि हमीरपुर जिले के गोहांड क्षेत्र में पिपरमेंट की खेती बहुतायत में किसान कर रहे है। बुंदेलखंड क्षेत्र के चित्रकूट क्षेत्र में इसकी खेती किसान कर रहे हैं। बताया कि पिपरमेंट की खेती से किसानों की तकदीर जरूर बदलेगी।

दैवीय आपदा की मार झेल रहे किसानों ने पिपरमेंट की खेती की तरफ बढ़ाए कदम

हमीरपुर समेत समूचे बुंदेलखंड क्षेत्र में इस बार कई महीनों तक लगातार बारिश से दलहनी की फसलें चौपट हुई है। दो महीने तक बारिश के बाद फिर ओलावृष्टि और बरसात होने से फसलों को बड़ा नुकसान पहुंचा है। भाकियू नेता निरंजन सिंह राजपूत ने बताया कि पिछले कई दशक से इस क्षेत्र के किसान दैवीय आपदा की मार से तबाह हो चुके हैं। परम्परागत खेती में अब किसानों को लागत निकालने के भी लाले पड़ गए हैं। इसीलिए हमीरपुर जिले के तमाम गांवों में किसानों ने पिपरमेंट की खेती की तरफ पहली बार कदम बढ़ाए हैं।

सौ दिनों में ही पिपरमेंट की खेती में तैयार होती है फसल, चार गुना तक होगा फायदा

पिपरमेंट की खेती की तैयारी में जुटे रघुवीर सिंह राजेन्द्र सिंह समेत तमाम किसानों ने बताया कि इसकी खेती सौ दिनों में ही उपज मिल जाती है। जून माह तक खेतों में पिपरमेंट की फसल तैयार हो जाती है। एक बीघा खेत में करीब पन्द्रह किलोग्राम तक पिपरमेंट आयल निकलता है। इसका आयल (तेल) एक हजार से सोलह सौ रुपये प्रति लीटर बिकता है। किसानों ने बताया कि एक एकड़ में बीस से पच्चीस हजार रुपये की लागत आती है लेकिन मुनाफा एक लाख रुपये तक होता है। रबी की फसल के बाद गर्मियों में यहां खेत वैसे भी खाली रहते हैं।

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