संघर्ष और सफलता की मिसाल बनी यह महिला

संघर्ष और सफलता की मिसाल बनी यह महिला

पति की मौत के बाद आचार और स्नेक्स को अपनी ब्रान्ड बना पहुंची सफलता के शिखर पर

इंसान यदि मजबूत मनोबल के साथ कुछ ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण दिया आसाम की एक महिला ने। पति की मौत के बाद अकेली हो गई यह महिला महिला अचार और स्नैक्स बेचकर आज सफलता के मुकाम पर खड़ी हैं और अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी है। यह कहानी है दीपाली भट्टाचार्य की जो कि आसाम के जोरहाट जिले की निवासी हैं। ग्रेजुएशन तक पढ़ाई करने के बाद साल 1990 में उनकी शादी हो गई। शादी के बाद दीपाली अपने पति के साथ गुवाहाटी आ गईं। दीपाली के पति गुवाहाटी में एक प्राइवेट स्कूल में अध्यापक थे। 

2003 में हार्ट अटैक मे पति की मौत

दिपाली दहिवड़ा, अचार और स्नैक्स बनाकर मार्केट में बेचती थी, जिससे की उसके पति को घर का खर्च चलाने में मदद मिलती थी।  धीरे-धीरे उनका संसार आगे बढ़ रहा था, लेकिन साल 2003 में दीपाली के पति को हार्ट अटैक आया और उसकी मृत्यु हो गईं। पति के जाने के बाद अब दीपाली अकेली पड़ गई थी। घर में पैसे के कमाने वाला कोई नहीं था। इसके अलावा उनकी 9 वर्ष की बच्ची और वृद्ध सासु की देखरेख की जिम्मेदारी भी उन पर आ गई।  कुछ महीनों तक दीपाली को समझ नहीं पड़ रहा था कि वह क्या करें? इसके बाद दीपाली ने दहीवड़ा, स्नेक और अचार जैसे अपने प्रोडक्ट को आगे बढ़ाने का ठान लिया। वह अपनी जिम्मेदारियां निभाने के साथ ही अपने इस व्यवसाय को भी आगे बढ़ाने लगी। कई बार तो दुकानदार मजबूरी समझ कर उनकी प्रोडक्ट खरीद लेते थे और कई बार तो इंकार कर देते थे। लेकिन, दीपाली के पास कोई विकल्प नहीं था।

मन में था कुछ करने का जोश

दीपाली बताती हैं कि वह शहर में आयोजित होने वाले फूड कम्पटिशन में भी भाग लेती थी और अवार्ड भी जीती थी। इनाम में मिले पैसे वह अपनी पढ़ाई पर खर्च करती थी। 2005 में नारियल विकास बोर्ड की ओर से आयोजित कम्पटिशन में दीपाली ने अपनी प्रोडक्ट भेजी थी और वह चुन ली गई। उसके बाद दिपाली ट्रेनिंग के लिए कोच्चि गई। वहां 10 दिन तक रुकी और नारियल की मिठाई, टॉफी, केक, आइस्क्रीम और अचार बनाना सीखा। इसके बाद उन्होंने घर पर ही यह सब प्रोडक्ट बनाकर बेचना शुरू किया।

नई-नई चीजें बनाकर खडे किए ग्राहक

शुरू में अचार के साथ रोस्ट पाठा तैयार करके पड़ोसियों को बेचती थी जो कि सब लोगों को पसंद आया। वह लोग दूसरों को भी यह चीजें खरीदने के लिए कहते थे। धीरे-धीरे सभी के बीच इसकी डिमांड बढ़ने लगी। इसके बाद दीपाली के अचार उनके स्टार्टअप का हिस्सा बन गए। लहसुन, मेथी के बीज, इमली, चिकन और मछली की डिमांड बढ़ने लगी। तब उन्होंने प्रकृति के नाम से अपनी ब्रांड बनाई। दीपाली फिलहाल 2 दर्जन से अधिक अचार प्रोडक्ट बनाकर मार्केट में बेचती हैं। कोच्ची हल्दी और नारियल अचार उनकी स्पेशल ब्रांड है। दीपाली किसानों से उनकी चीजें खरीदती हैं और अपनी प्रोडक्ट की पैकेजिंग और मार्केटिंग खुद ही करती हैं। उनके पास हर महीने 200 के करीब ऑर्डर आते हैं और वार्षिक 5 लाख रूपए तक कमाई कर रही हैं।
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