हाइवे पर हो रहे दुर्घटनाओं को कम करने के लिए इस मंत्री ने सुझाया एक विचार

राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राजमार्ग दुर्घटनाओं को कम करने के लिए पेशेवर ट्रक ड्राइवरों के लिए समय निर्धारित करने की सिफारिश की

कई बार हाईवे पर तेज रफ्तार से दौड़ रहे वाहनों के बीच दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती है। अक्सर हाइवे पर कई गाडिय़ों में भीषण हादसे होते रहते हैं। ऐसे में अब केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी एक आइडिया लेकर आए हैं। दावा किया जा रहा है कि इस आइडिया के लागू होने से हाईवे पर हादसों की संख्या में कमी आएगी।  जानिए क्या है आइडिया?
आपको बता दें कि मंत्री नितिन गडकरी ने राजमार्ग दुर्घटनाओं को कम करने के लिए पेशेवर ट्रक ड्राइवरों के लिए समय निर्धारित करने की सिफारिश की है। उन्होंने यह जांचने के लिए अलर्ट सेंसर लगाने पर भी जोर दिया कि चालक व्यावसायिक वाहनों में सो रहा है या नहीं। गडकरी ने एक ट्वीट में लिखा कि एक ट्रक चालक की ड्यूटी एक पायलट की तरह तय की जानी चाहिए। इससे थकान के कारण होने वाले हादसों पर रोक लगेगी।
इस बारे में गडकरी ने आगे कहा कि यूरोपीय मानकों के अनुसार, अधिकारियों को व्यावसायिक वाहनों में ड्राइविंग के दौरान नींद की जानकारी के लिए सेंसर लगाने की नीति पर काम करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि जिला सड़क समितियों की नियमित बैठक बुलाने के लिए मुख्यमंत्री और कलेक्टर को पत्र भेजें जाएंगे।
मंत्री गडकरी ने ट्रक ड्राइवर के साथ पायलट जैसा व्यवहार करने की बात कही है। आपको बता दें कि भारत में एक विमान के पायलट की 24 घंटे में 0 से 8 घंटे की ड्यूटी होती है।  सप्ताह में 30 घंटे, महीने में 125 घंटे, 90 दिनों में 270 घंटे, 1 साल में 1000 घंटे होते हैं, जबकि ट्रक चालक की ड्यूटी के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है। ज्यादातर मामलों में एक ही ड्राइवर 24 से 72 घंटे ड्यूटी पर रहता है।  ज्यादातर ड्राइवर रात में ट्रक चलाना पसंद करते हैं।  इसलिए पर्याप्त नींद न लेने पर दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है।
दुर्घटना की बात करें तो भारत में जहां 2015 से 2019 तक सड़कों की लंबाई में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं पंजीकृत वाहनों की संख्या में 41 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।  2015 में पंजीकृत वाहनों की संख्या 21 करोड़ थी, जो 2019 में बढ़कर 29.6 करोड़ हो गई है। 2015 में सड़क की लंबाई 54.7 किमी थी, जो 2019 में 17% बढ़कर 63.9 करोड़ हो गई है। 2015 में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या 1,46,113 थी जो 2019 में घटकर 1,31,714 हो गई है।