कोरोना का नया स्वरूप अधिक जोखिम भरा; पहले की तुलना में जल्द करता है फेफड़ों पर असर

कोरोना का नया स्वरूप अधिक जोखिम भरा; पहले की तुलना में जल्द करता है फेफड़ों पर असर

पहले से ज़्यादा जल्दी असर करते है नए म्युटेन्ट, विदेशों में वैक्सिन के कारण केस घटे

अहमदाबाद, सूरत सहित गुजरात के महानगरों में एक बार कोरोना ने फिर से आतंक मचा रखा है। कोरोना के नए लक्षणों के बारे में अध्ययन करने वाले जानकार बताते हैं कि पहले सात-आठ दिन तक गले या नाक में कोरोना वायरस रहता था। इसके बाद फेफड़े तक पहुंचा था और निमोनिया होता था। लेकिन नए म्यूटेन्ट मे कोरोनावायरस संक्रमण फेफड़ों मे तीसरे दिन ही पहुंच जाता है और निमोनिया रोग में बदल जाता है। इस परिस्थिति में रिस्क ज्यादा बढ़ जाता है। 
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के गुजरात ब्रांच के पूर्व प्रमुख डॉक्टर चंद्रेश जरदोश ने बताया कि मैं कोरोना के नए म्युटेंट के कोरोनावायरस ज़्यादा  घातक है। आईएमए से जुड़े डॉक्टर का कहना है कि कोरोना के नए लक्षणों में उल्टी-दस्त और आंखों में जलन भी होता है।बच्चों और महिलाओं में भी यह चेप तेजी से फैल रहा है। 
डॉक्टर का कहना है कि अब यूके- अमेरिका में केस घट रहे हैं। क्योंकि वहां 25 से 30% वैक्सीनेशन हो गया है। जबकि भारत में 4% वैक्सीनेशन हुआ है। हमारे यहां कोरोना वैक्सीन उत्पादन करने वाली  को वैक्सीन की दोनों कंपनियों की उत्पादन क्षमता प्रतिमाह 10 करोड़ की है। महीनों  तक लगातार उत्पादन किया जाए और लोगों को वैक्सीन दिया जाए तभी कोरोना का ग्राफ नीचे आएगा। कोरोना के नए वायरस तीन दिनों में ही फेफड़ों तक पहुंच कर असर कर रहे हैं। इसलिए लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है। वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की भी जरूरत बढ रही है। ऐसी परिस्थिति में सिर्फ वैक्सिन ही विकल्प है।