म्युकर मायकोसिस के इलाज का लाखों का खर्च मध्यम वर्ग की पहुंच से दूर, इंजेक्शन के दाम कम करो!
By Loktej
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अलग-अलग ब्रान्ड की दवाओं की कीमत भी अलग, एक इंजेक्शन ७९०० रुपये का और लगते हैं ८० से १०० इंजेक्शन
सूरत सहित देशभर में कोरोना ने हाहाकार मचा रखा है, काफी नहीं था कि इसके बाद अब म्यूकोरमाइकोसिस नाम की बीमारी ने भी दस्तक दी है। कई मरीजों को कोरोनावायरस की शिकायत सामने आ रही है लेकिन इसके उपचार के लिए आवश्यक इंजेक्शन बहुत ही महंगी होने के कारण गुजरात स्टेट फार्मेसी काउंसिल ने केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडवीया को पत्र लिखकर इस इंजेक्शन की कीमतें कम कराने की मांग की है। साथ ही जरूरतमंद परिवारों को आर्थिक मदद करने के लिए भी गुहार लगाई है। बताया जा रहा है कि एक इंजेक्शन की कीमत लिक्विड एंफोटरिसिन बी और लायोफिलाइजड लाइपोजोम एंफोटरइसिन बी इंजेक्शन के लिए हेट्रो कंपनी 269 रूपए लेती है। जबकि सनफार्मा 7900 वसूल करती है। काउंसिल का कहना है कि सरकार ने अलग-अलग राज्यों में कोरोना के लिए उपयोग में ले जाने वाली दवाओं की कीमत पर अंकुश के लिए कड़े कदम उठाए है।
लाइपोजोम एंफोटरेसिन बी 50 मिलीग्राम इंजेक्शन की कीमत में भी विसंगतता है। हाला मे अलग अलग कंपनियों की ओर से एंटिफंगल लाइपोजोम एम्फोटोरोसिन बी 50 मिलीग्राम की कीमत में अंतर है। ड्रग्स की अलग अलग ब्रान्ड की कीमत में लिक्विड एंफोटरिसिन बी इंजेक्श तथा लायोफिलाइजड लिपोसोमल एम्फोटोरेसिन बी की कीमत में अंतर है। दवाओं की कीमत पर नियंत्रण लगाने के लिए केमिकल और खाद्य मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत फार्मा क्यूटिकल कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए मंत्री से गुहार लगाई गई है। म्यूकोर माइकोसिस बीमारी के लिए मरीज को लायो फिलाइज एंफोटरइसिन बी के कम से कम 80 से 150 इंजेक्शन लेने पड़ते हैं। एक इंजेक्शन की कीमत औसतन 7000 है और 150 इंजेक्शन के लिए मरीज को 11 से 14 लाख रूपए चुकाने पड़ते हैं। मरीजों को खूब नुकसान हो रहा है। 14 लाख रुपए का उपचार करवाते करवाते वैसे ही मरीज आर्थिक पायमाल हो जाएगें।
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