चिता पर रखा शव ऊठकर बैठ तो गया लेकिन दुर्भाग्यवश परिजनों की खुशी ज्यादा समय नहीं टिक सकी!

चिता पर रखा शव ऊठकर बैठ तो गया लेकिन दुर्भाग्यवश परिजनों की खुशी ज्यादा समय नहीं टिक सकी!

इलाज के दौरान हुई मौत के बाद श्मशान में जीवित हो उठा व्यक्ति, बाद में डॉक्टर्स ने फिर मृत घोषित किया

कोरोना का ये मुश्किल समय लोगों के लिए बेहद मुश्किलों से भरा हुआ है। अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड, ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं और इंजेक्शन की भारी कमी है। इलाज के लिए उपयोगी रेमेडिसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी और नकली इंजेक्शन की घटनाएं लोगों के लिए एक और समस्या बन गई हैं। पिछले कुछ दिनों में कोरोना से 4,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। साथ ही यह लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है। दिन बा दिन मरने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। इसी बीच एक अजीबोगरीब घटना सामने आई हैं।
जानकारी के अनुसार एक युवक कोरोना वायरस से संक्रमित था। उसका एक अस्पताल में इलाज चल रहा था जहाँ एक दिन डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। लेकिन जब उनके परिवार के सदस्य उनके अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट पहुंचे, तो वे अचानक चौंक गए। अचानक युवक के शव की आंखे खुल गई और इसी के साथ श्मशान में अफरा-तफरी का माहौल हो गया।
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले के मुक्तिधाम में गुरुवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब एक लाश एक चीते से उठ गई और बात करने लगी। इसके बाद परिजन ने डॉक्टर और एंबुलेंस को फोन किया। जानकारी मिलते ही मुक्तिधाम पहुंचे एक डॉक्टर और एक एम्बुलेंस ने दुबारा जाँच कर युवक को मृत घोषित कर दिया। हालांकि परिजन ऐसे नहीं माने तो मृतक को दोबारा जिला अस्पताल ले जाया गया। यहां उसकी जांच भी की गई लेकिन उसे मृत घोषित कर दिया गया।
(Photo : Aajtak.in)
पूरी घटना अशोक नगर की है।  अनिल जैन नाम के युवक की तबीयत खराब होने पर उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार करीब 15 दिन तक वह जिला अस्पताल में भर्ती रहा। मृतक के भाई का कहना है कि उसे कोरोना की शिकायत थी और गुरुवार सुबह डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया, लेकिन जब हम उसे श्मशान ले गए तो शरीर में हलचल हुई और ओम ओम की आवाज भी आई और वह बैठ गया। ।
इसके बाद डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंची और उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों का आरोप है कि मृतक जिला अस्पताल में जिंदा था। वे अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। तो सिविल सर्जन का कहना है कि यह कहना गलत है कि वह जीवित था। मृतक को मुक्तिधाम से लाए जाने के बाद भी जांच कराई गई, उसकी मौत हो चुकी थी। परिजनों के सभी आरोप निराधार हैं।