दक्षिण गुजरात चेम्बर ऑफ कोमर्स कि अगुवाई में विभिन्न टेक्सटाईल संगठनो द्वारा आयोजित बैठक में कपडा उद्योगों के अग्रणियों का सवाल , जीएसटी की दरों को बढ़ाने का इतना बड़ा निर्णय सरकार ने कैसे लिया?
कपड़ा उद्योग पर जीएसटी बढ़ाने के लिए सरकार ने किस व्यापारिक संगठन से बैठक की ?
एक तरफ सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाने का ऐलान कर रही है तो दूसरी तरफ कपड़े पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने के बाद इन गरीब लोगों को कपडे तथा साड़ी खरीदने के लिए 30 से 40 रुपये अधिक देने होंगे। देश का कपड़ा उद्योग आत्मनिर्भर है लेकिन 12 प्रतिशत जीएसटी लगने से कपड़ा उद्योग को भारी नुकसान होगा। जीएसटी के दरों में 5 से 12 प्रतिशत प्रस्तावित वृद्धि के विरोध में पहली बार देश के कई उद्योग संगठन एक जुट हो कर इस निर्णय का खुलकर विरोध कर रहे है। चैम्बर और फियास्वी द्वारा आयोजित मीटिंग में मुंबई, कर्नाटक, सालंग, अहमदाबाद और साउथ गुजरात चैम्बर की पैरेंट बॉडी गुजरात चैम्बर जैसे 44 बड़े एसोसिएशन जुड़े जिसमे टेक्सटाईल सेक्टर पर 5 प्रतिशत जीएसटी यथास्थिति रखने की बात रखी गई। चेम्बर प्रतिनिधि फियास्वी के नेतृत्व में 1 दिसंबर को जॉइंट डेलीगेशन के साथ कॉमन लेटरपैड के जरिए इस मुद्दे पर गुजरात वित्त मंत्री कनुभाई देसाई के समक्ष प्रस्तुतीकरण किया जाएगा।
उद्योग अभी भी कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है और मुश्कीलों से बाहर आने का प्रयास कर रहा है तभी सरकार ने 12 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया है। कपड़ा उद्योग से लाखों महिलाएं जुड़ी हैं। इसका असर उनके रोजगार पर भी पड़ेगा। कई प्रोसेस हाउस बंद हो जायेंगे और बाजारों में दुकानें भी बंद रहेंगी, जिसका सीधा असर रोजगार पर पड़ने वाला है। देश भर के कपड़ा उद्योगपति एक डेटाबेस तैयार करेंगे और इसे राज्य के वित्त मंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री के सामने पेश करेंगे। व्यापारी कोर कमेटी बनाकर व्यवस्थित डेटाबेस बनाकर सरकार को छोटी से छोटी जानकारी देने की तैयारी कर रहे हैं। डेटाबेस के भीतर वास्तव में कितना नुकसान हो रहा है, इसका विवरण दिया जाएगा। जब भी जीएसटी को लेकर पेशकश कि जाती है, तो जीएसटी परिषद को डेटाबेस के अनुसार विस्तृत जानकारी प्राप्त करने का आग्रह रखता है। जीएसटी लागू होने के बाद से रिटेलर उद्योग को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। फिलहाल गांव का छोटा व्यापारी जो ईमानदारी से 5 प्रतिशत जीएसटी पर कारोबार कर रहा है, वह 12 प्रतिशत जीएसटी का बोज नही झेल पायेगा। एक छोटा फुटकर विक्रेता ब्लेक में जितना हो सके उतना माल मंगवाएगा और बेचेगा। यह सच्चाई किसी से छिपी नहीं है। हालाँकि वास्तविकता यह होगी कि ब्लेक में व्यवसाय किए बिना वह अपने व्यापार की रक्षा नहीं कर पाएगा। वह कितना भी ईमानदार क्यों न हो, उसे ब्लेक में व्यापार करने के लिए मजबूर होना पडेगा। ट्रांसपोर्टरों और अधिकारियों को होगी रुपये की कमाई, इनकी सेटिंग से कपड़ा उद्योग को काफी नुकसान होने वाला है। सरकार के इस फैसले से कपड़ा उद्योग के साथ अन्याय हो रहा है। बैठक में यह भी कहा गया कि सरकार को अपनी एकजुटता दिखाने का समय आ गया है। उन्होंने प्रारंभिक चरण में परिचय के बाद जरूरत पड़ने पर देशव्यापी आंदोलन शुरू करने की भी तत्परता दिखाई।
फियास्वी के प्रेसीडेंट भरत गाँधी ने कहा की जीएसटी के दरों में वृद्धि के निर्णय में हम में से किसी भी स्टेक होल्डर्स की राय नहीं ली गई है। कुछ 5 प्रतिशत लोग है जिनके मतों को मान कर इतना बड़ा निर्णय लिया गया , जबकि 95 प्रतिशत स्टेक होल्डर्स इसके खिलाफ ही है। उन्होंने आगे बताया की पूरे कपड़ा उद्योग में से एक भी इंडस्ट्रीज को असर पड़ा तो इससे पुरा उद्योग प्रभावित होगा और अंततः पूरा उद्योग ढह जाएगा।
उधना उद्योग नगर संघ के केतन जरीवाला ने कहा की कपडा उद्योग के एक सेक्टर को नुकसान और दूसरे को लाभ नहीं हो सकता। सरकार टैक्स दर बढ़ाकर आवक बढ़ाने के भ्रम में है। क्यूंकि टैक्स में वृद्धि से 50 प्रतिशत मजबुरन सीधे तौर पर टैक्स भरने वाले ब्लैक में काम करेंगे । कपडा उद्योग के सभी संगठन एक मंच पर एकत्रित हुए है , स्पिनिंग इंडस्ट्रीज को भी साथ जुड़ कर सरकार से प्रस्तुति करनी चाहिए।
साउध गुजरात टेक्सटाईल प्रोसेसर्स एसोसिएशन (एसजीटीपीए) के अध्यक्ष जीतू वखारिया ने कहा की हमे इस तरह की बात करने से पहले डेटा एकत्र करना चाहिए। हमारी कोई नहीं सुनेगा। हमें राज्य मंत्री को भी यही प्रतिनिधित्व देना चाहिए। हमें यह सब इस तरह से प्रस्तुत करना चाहिए जो व्यापारी के अनुकूल हो न कि उसे नकारात्मक तरीके से व्यक्त करने के लिए। कपास से तुलना न करें क्योंकि कपास एक प्राकृतिक चीज है।
वीवर्स अग्रणी मयूर गोलवाला ने यह प्रश्न उठाया की सरकार ने किन उद्यमियों के साथ बैठक कर इतना बड़ा निर्णय लिया? क्यूंकि सूरत या साउथ गुजरात के कोई भी उद्यमी की राय नहीं ली गई है। ये एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता हैं जिसका सरकार हमे जवाब दे ताकि हमे भी अपना पक्ष रखने में सरलता हो।
दक्षिण गुजरात चैम्बर ऑफ कोमर्स एन्ड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) के अध्यक्ष आशीष गुजराती ने बताया की कपडा उद्योग से 35 करोड़ वर्कर जुड़े हुए है , जिसमे से अधिकतर महिलाए है जो सीधे तौर पर प्रभावित होंगी। देश में 5 लाख ऑटोमेटिक लूम है जिसमे से 50 प्रतिशत सूरत के है, जो इस निर्णय से प्रभावित होंगे। फाइनेंस मिनिस्टर के साथ मीटिंग में भी यथास्थिति बनाए रखने का ही समाधान बताया था। इस मीटिंग में सभी ने एक मत हो कर इस निर्णय में हमारा समर्थन किया है। इसके लिए जीएसटी रिप्रजेंटेशन समिति का भी गठन किया जाएगा जिसके प्रमुख भारत गाँधी होंगे समिति में जिसमे 5 से 10 प्रतिनिधि होंगे।