सूरत : दादा जी की नियत पोती पर बिगड़ी; सात साल के लिये अंदर हो गये!

सूरत : दादा जी की नियत पोती पर बिगड़ी; सात साल के लिये अंदर हो गये!

घर पर टीवी देखने आई पोती की उम्र की लड़की के कपड़े उतारकर सुरक्षाकर्मी ने उसका यौन शोषण किया

तीन साल पहले कवास गांव में पड़ोस में किराए पर रहने वाले और घर पर टीवी देखने आई 9 साल की बच्ची का यौन शोषण करने वाले 65 वर्षीय आरोपी सुरक्षाकर्मी को पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया। मामले की जाँच करते हुए पोक्सो अधिनियम के उल्लंघन और ईपीआईसीओ-354(B) के अपराध के लिए सात साल के सश्रम कारावास सहित 10,000 का जुर्माना, जुर्माना नहीं देने पर 12 महीने के अतिरिक्त कारावास और गुनाह में भोग बनी बच्ची को 1 लाख के मुआवजे का निर्देश जारी किया गया है।

क्या है पूरा मामला?


मामले के बारे में बताते चले कि २०१९ में अगस्त में बापा सीताराम सोसायटी में रहने वाले और सुरक्षाकर्मी का काम करने वाले आरोपी महेंद्रसिंह रामशृसिंह राजपूत के घर के पड़ोस में रहने वाली और मामले की शिकायत करने वाली शिकायतकर्ता की 9 वर्षीय बेटी रविवार को टीवी देखने गई थी। इस दौरान आरोपी ने उसे कब्जे में रखते हुए उसके गाल और छाती पर दांत काट कर उसके कपड़े उतारकर उसका यौन शोषण किया। इसी बीच मां अपनी बेटी को ढूंढते हुए वहां आई और बच्चे ने रोते हुए पूरी बात बताई। आरोपी को मां, मेरी लड़की के साथ ऐसा क्यों किया? पूछने पर आरोपी ने 'हल्ला मत करो जो होगा हम संभल लेंगे' कहकर दरवाजा बंद कर लिया।

पुलिस में दर्ज कराई शिकायत


इसके बाद महिला ने इस बारे में पति और आसपास के लोगों को सूचित करने के बाद आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और पुलिस ने मामले में पोक्सो एक्ट-354(बी), 342, पोक्सो एक्ट की धारा 10 के उल्लंघन के आरोप में शिकायत दर्ज करा आरोपी को हिरासत में ले लिया। जेल में बंद आरोपी के खिलाफ मामले की अंतिम सुनवाई में कुल 27 गवाह और दस्तावेजी साक्ष्य पेश करने के बाद उपरोक्त सभी अपराधों में आरोपी को दोषी ठहराया।


बचाव पक्ष के मुताबिक आरोपी की उम्र 65 साल है और वह बीमार है और अपनी बेटी और पोती के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उसी पर है। होई ने कम सजा की मांग की थी क्योंकि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं था। जिसके विरोध में सरकारी पार्टी ने कहा कि आरोपी ने पड़ोसी की पोती की उम्र की बेटी के साथ जघन्य कृत्य किया और शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी। गंभीर अपराध के पहले दिखाई देने वाले मामले में अधिकतम सजा और जुर्माना दिया जाना चाहिए। अत: न्यायालय ने अभियुक्तों की सजा में ढील देने की मांग को खारिज कर दिया और उपरोक्त दोनों अपराधों में उपरोक्त अधिकतम कठोर कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई।
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