सूरत : उद्योग - कारोबार के लिए अवसरों से भरा है अगरतला : दिनेश नावडियया
            By  Loktej             
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                                                 दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ( एसजीसीसीआई) के अध्यक्ष दिनेश नावडिया के साथ एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल ने त्रिपुरा अगरतला का दौरा किया जिसमें सूरत के उधोगपतियों के लिए विभन्न संभावनाए है।
त्रिपुरा में बांस, रबर, चाय, पाईनेपल और अगरट्री में निवेश की विपुल संभावनाएं
दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ( एसजीसीसीआई) के अध्यक्ष दिनेश नावडिया ने कहा कि चैंबर के तत्वावधान में एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले हफ्ते त्रिपुरा अगरतला का दौरा किया। इस दौरे में सूरत के विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया के विशेष प्रयासों से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब तथा सरकारी अधिकारियों के साथ एक संवाद हुआ और इस यात्रा का आयोजन किया गया। यात्रा को फलदायी बनाने के लिए त्रिपुरा राज्य सरकार और उसके अधिकारियों से बहुत अच्छा सहयोग प्राप्त हुआ और विभिन्न  इंडस्ट्रीज से मुलाकात की व्यवस्था की गई। 
तीन दिनों की मुलाकात के दौरान चेम्बर डेलिगेशन ने सरकारी अधिकारीयों के साथ चाय बागान, मेगा फूड पार्क, औद्योगिक संपदा, हस्तशिल्प क्लस्टर, बांस प्रसंस्करण, फर्नीचर बनाने की इकाई, रबड़ प्रसंस्करण इकाई, खाद्य प्रसंस्करण इकाई, अगरवुड बागान, बांस गांव आदि का दौरा करके उधोग संबंधित संभावनाओं की जानकारी प्राप्त की। 
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और रियल एस्टेट से जुड़े वेलजी शेटा ने कहा त्रिपुरा में अगरवुड के पेड़ व्यापक रूप से उपलब्ध है। अगरवुड के चिप्स का उपयोग धूप और तेल के इत्र में किया जाता है। इस पेड़ का उपयोग दवा में भी किया जा सकता है। अगरवुड के एक वृक्ष के लिए सात साल में 15 हजार का खर्च होता है जिसके सामने डेढ से पौने दो लाख रुपये की आय प्राप्त होती है।  इसके अलावा, बांस के फर्नीचर, रबर की लकड़ी जैसी वस्तुओं को रियल एस्टेट उद्योग में लकड़ी के एक अच्छे विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जो अधिक टिकाऊ है और पानी / उधई की समस्या नहीं पैदा करता है। इन सभी क्षेत्रों में बहुत अच्छे अवसर हैं।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और कपड़ा उद्योग से जुड़े दीपक शेटा ने कहा कि त्रिपुरा तीन तरफ से बांग्लादेश की सीमा से जुड़ा है। बांग्लादेश का बंदरगाह त्रिपुरा सीमा से लगभग 60 किमी दूर है। दोनों देशों के बीच समझौते हो चुके हैं जल्द ही मैत्री ब्रिज चालु होने के बाद टेक्सटाईल, लोजिस्टीक और स्पेशियल इकोनोमीक झोन से इंडस्ट्री को अधिक लाभ हो सकता है। 
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और खाद्य उद्योग से जुड़े मनहर सांसपरा ने कहा कि अनानस, लीची, जेकफ्रुट जैसे फल त्रिपुरा में बड़ी मात्रा में उगाए जाते हैं और उनकी गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होती है। लेकिन सीमित परिवहन विकल्पों के कारण, इन फलों का उपयोग पर्याप्त नहीं हो सकता है। यदि लुगदी संयंत्र (पल्पींग प्लान्ट) , फल पाउडर बनाने का संयंत्र, डिब्बाबंद खाद्य संयंत्र स्थापित किया जाता है, तो प्रचुर मात्रा में अच्छे उपयोग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और न केवल भारतीय खाद्य उद्योग बल्कि विदेशों में भी निर्यात के अवसर हैं।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और फार्मास्युटिकल उद्योग से जुड़े केतन जोटा ने कहा कि त्रिपुरा एक पहाड़ी क्षेत्र है और भूमि उपजाऊ है। यहाँ विभिन्न प्रकार के पौधे उगाए जाते हैं, जो फार्मा इंडस्ट्री में अहम भूमिका निभाता है। साथ ही कोविड महामारी के बाद आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ रहा है। यदि 'जड़ी-बूटी' का व्यापक रूप से अध्ययन किया जा सके और दवा में ठीक से उपयोग किया जा सके, तो विदेशों से आयात होने वाले कुछ कच्चे माल को रोका जा सकता है और भारतीय आयुर्वेद का अधिकतम उपयोग करके इसका निर्यात किया जा सकता है।
चैंबर के अध्यक्ष दिनेश नवाडिया ने सूरत सहित पूरे दक्षिण गुजरात के उद्योग प्रतिनिधियों से अनुरोध किया है कि यदि वे उपरोक्त मामलों में कोई रुचि रखते हैं और विस्तृत जानकारी चाहते हैं तो वे चैंबर ऑफ कॉमर्स से संपर्क करें।
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