सूरत : कक्षा 12 विज्ञान संकाय के परिणाम में रत्नकलाकरों के बच्चों की उपलब्धि

सूरत : कक्षा 12 विज्ञान संकाय के परिणाम में रत्नकलाकरों के बच्चों की उपलब्धि

पिता ने यही बात काश्वी भंडारी से कही की बेटा तु मात्र पढाई पर ध्यान दे बाकी व्यवस्था मै कर दुंगा

आर्थिक तंगी के बीच रत्नकलाकर पिता ने ऐसा कहा कि बेटी 99.83 पीआर प्राप्त किए
कोरोना के संक्रमण ने बोर्ड के छात्रों के लिए कई चुनौतियां खड़ी कर दीं। एक तरफ स्कूल जाने की शर्त नहीं थी तो दूसरी तरफ परिवार में कमाने वाले को बड़ा झटका लगा। ऐसे में सूरत शहर में परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो गया। विशेष रूप से सूरत में हीरा उद्योग से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन उनके बच्चों ने अपनी इच्छा शक्ति से एक बार फिर ए1 ग्रेड हासिल करने में कामयाबी हासिल की है। कोरोना में फैक्ट्री बंद होने से आर्थिक संकट के बीच जौहरी की बेटी काश्वी भंडेरी ने 99.83 पीआर और सागर वेकारिया को 99.53 पीआर हासिल करने में कामयाबी हासिल की है।
काश्वी भंडेरी ने कहा, मैं एक रत्नकलाकार की बेटी हूं। मेरा 99.83 पर्सेंटाइल और 91 प्रतिशत परिणाम आ गया है। कोरोना की वजह से इस बार बोर्ड परीक्षा हमारे लिए काफी मुश्किल होने वाली है। पिताजी ने मुझे कभी निराश नहीं किया, भले ही तालाबंदी के कारण हीरा कारखाना बंद हो गया था। पापा हमेशा कहते थे कि सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दो, बाकी सब इंतजाम कर दूंगा। आखिरकार मैं अपेक्षित परिणाम लाने में सफल रही।
सेनिल कलसारिया ने कहा कि बोर्ड परीक्षा का परिणाम बहुत अच्छा रहा है। परिणाम वही है जिसकी मुझे उम्मीद थी। मेरा 83 प्रतिशत और पर्सेंटाइल 89.03 है। हालांकि, मैं यह कहना चाहूंगा कि मुझे कोरोनासंक्रमण के कारण पढ़ाई में क ठिनाई हुई उससे भी अधिख कठीनाई मेरे पिता को आर्थिक रूप से सक्षम होने में हुई। कई चुनौतियों के बीच मैं अपने लक्ष्य का पीछा करने के लिए तैयार था। मैं आगे कंप्यूटर विज्ञान का अध्ययन करने जा रहा हूं।
सागर वेकारिया ने कहा,मेरा परिणाम उम्मीद से काफी बेहतर रहा है। 89.04 प्रतिशत और पर्सेंटाइल 99.53 है। आज का परिणाम में मेरे माता-पिता और शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान है। स्कूल संचालकों ने सारे इंतजाम किए ताकि स्कूल न आने पर भी हम ठीक से पढ़ाई कर सकें। मेरे पिता रत्नकलाकार हैं। सूरत शहर में कई लोग हीरा उद्योग से जुड़े हैं। आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर होने के बावजूद मेरा लक्ष्य किसी भी स्थिति में अच्छे अंक लाने का प्रयास करना था। जब मैं आठवीं कक्षा में था तब मैंने कंप्यूटर विज्ञान का अध्ययन करने का फैसला किया। मैं उसी विषय के साथ उसी दिशा में अपना करियर बनाना जारी रखूंगा।
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