सूरत में खाड़ृी बाढ़ के बाद मनपा का 'युद्धस्तर' पर सफाई अभियान, बीमारियों पर लगाम लगाने के प्रयास तेज़
प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य सर्वे जारी, 1.12 लाख क्लोरीन की गोलियां बांटी गईं; भोजन वितरण भी किया गया
सूरत। शहर में खाड़ी बाढ़ का पानी उतरते ही सूरत नगर निगम प्रशासन बीमारियों के प्रसार को रोकने और स्थिति सामान्य करने के लिए युद्धस्तर पर जुट गया है। लगातार बारिश और सिमाड़ा खाड़ी के ओवरफ्लो होने से खाड़ी किनारे के कई इलाकों में पानी भर गया था, लेकिन अब पानी कम होने के साथ ही सफाई और स्वास्थ्य संबंधी कार्य तेजी से किए जा रहे हैं।
पानी उतरने के तुरंत बाद, मनपा ने 587.44 मीट्रिक टन कचरे का निपटान किया है। सफाई अभियान के तहत 34,964 किलोग्राम कीटनाशक का भी छिड़काव किया गया है ताकि वेक्टर जनित बीमारियों को फैलने से रोका जा सके। मनपा आयुक्त शालिनी अग्रवाल ने स्वयं सफाई कार्यों का निरीक्षण किया और आईसीसीसी (Integrated Command and Control Center) के माध्यम से काम की गति बढ़ाई।
सबसे अधिक प्रभावित लिंबायत जोन में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यहाँ लिंबायत टीम के साथ-साथ अठवा, रांदेर, उधना और वराछा जोन-बी की स्वास्थ्य टीमों से कुल 150 लोग सफाई कार्य में लगाए गए हैं। ये टीमें पानी उतरने के बाद सफाई (स्क्रेपिंग और ब्रशिंग) और कीटनाशकों के छिड़काव का काम कर रही हैं।
सफाई अभियान के साथ ही, मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल टीमों और निगरानी कार्यकर्ताओं के माध्यम से व्यापक स्वास्थ्य सर्वे शुरू कर दिया है। 24 से 27 जून तक के आंकड़ों के अनुसार, शहर के प्रभावित क्षेत्रों में 2,24,069 लोगों को सर्वे में शामिल किया गया है, जिनमें से 1215 लोगों का मौके पर ही इलाज किया गया।
बाढ़ के दौरान और बाद में, मनपा की मेडिकल रैपिड रिस्पांस टीम ने स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियां जारी रखीं। पिछले 4 दिनों में कुल 1,12,260 क्लोरीन की गोलियां बांटी गई हैं, जो पानी को शुद्ध करने में मदद करेंगी। बाढ़ का पानी उतरने से पहले ही मनपा ने स्वास्थ्य टीमें नावों के जरिए बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में भेजनी शुरू कर दी थीं।
जिन इलाकों में चार दिनों तक बाढ़ का पानी भरा रहा और लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पाए, वहाँ नगर पालिका ने 40,275 खाने के पैकेट भी वितरित किए, जिससे प्रभावित लोगों को बड़ी राहत मिली।
मनपा प्रशासन के इन युद्धस्तर प्रयासों से उम्मीद है कि सूरत में बाढ़ के बाद उत्पन्न होने वाली बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकेगा और जनजीवन जल्द सामान्य हो पाएगा।