हार्दिक ने छोड़ी कांग्रेस, अब क्या? भाजपा या आप!

हार्दिक ने छोड़ी कांग्रेस, अब क्या? भाजपा या आप!

कई दिनों तक नाराजगी प्रकट करते रहे हार्दिक पटेल ने आखिरकार दे दिया इस्तीफा

युवा पाटीदार नेता और गुजरात प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हार्दिक पटेल ने आखिरकार कांग्रेस पार्टी को राम-राम कर दिया है। हार्दिक पटेल ने बुधवार को सुबह कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपना त्यागपत्र दे दिया। कई दिनों की नाराजगी के बाद आखिरकार हार्दिक पटेल ने अपना निर्णय सुना दिया है। उदयपुर में हुए कांग्रेस पार्टी के चिंतन शिविर में ना पहुंचकर पहले ही हार्दिक ने अपने मंसूबों का संकेत दे दिया था। दूसरी ओर गुजरात प्रदेश के आला नेता बारी-बारी हार्दिक के खिलाफ बयान देकर कह रहे थे कि पार्टी उचित समय पर उचित निर्णय लेगी। हार्दिक पटेल ने शायद इन्हीं इशारों को भांपकर पार्टी से निष्कासन हो इससे पहले ही त्यागपत्र देकर इज्जत बचा ली। अब सवालों का सवाल यह है कि हार्दिक पटेल आने वाले समय में किस पार्टी का रुख करेंगे। उनके पास भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के रूप में दो विकल्प हैं।
राजनीतिक पंडितों का मानना है की हार्दिक पटेल भारतीय जनता पार्टी का रुख कर सकते हैं। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि हार्दिक पटेल पिछले कई दिनों से भारतीय जनता पार्टी के आला नेताओं के संपर्क में थे। राजनीतिक हलकों में ऐसी चर्चा है कि हार्दिक पटेल को भारतीय जनता पार्टी में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कथित रूप से हरी झंडी दे दी है। इसके बाद विगत दिनों हार्दिक पटेल ने भाजपा के आला नेता बीएल संतोष से मुलाकात भी की थी। फिलहाल हार्दिक पटेल हिमाचल प्रदेश में किसी मंदिर में दर्शन करने गए हैं और कहा जा रहा है कि वे एक-दो दिन में गुजरात लौटकर पत्रकार परिषद को संबोधित करेंगे। हार्दिक पटेल को भारतीय जनता पार्टी में शामिल करने का एक कारण पाटीदार वोट बैंक माना जा रहा है।
दूसरी ओर राजनीतिक पंडितों का यह भी मानना है कि हार्दिक पटेल आम आदमी पार्टी में भी शामिल हो सकते हैं। जानकार यह मत प्रकट कर रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने हार्दिक पटेल का उपयोग किया है। यदि हार्दिक पटेल भारतीय जनता पार्टी में शामिल होते हैं तो उसका भाजपा को सीधे कोई खास लाभ नहीं होगा। लेकिन यदि हार्दिक पटेल आम आदमी पार्टी में शामिल होते हैं तो इसका कांग्रेस पार्टी को खासा नुकसान हो सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल की उपस्थिति के कारण कांग्रेस पार्टी को पाटीदार वोट बैंक का बड़ा हिस्सा मिला था जिसके बूते पर उसकी सीटें भी बड़ी थी। अब यदि इस चुनाव में हार्दिक पटेल कांग्रेस के साथ नहीं रहते हैं तो पाटीदार वोट बैंक वहां से खिसक सकती है और यदि आम आदमी पार्टी को इसका लाभ होता है तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को है।
उधर हार्दिक पटेल ने बुधवार सुबह जो इस्तीफा दिया उसमें उन्होंने ऐसी कई बातों का जिक्र किया जो भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा से मेल खाते हैं। इन में राम मंदिर का मुद्दा, सीए एनआरसी, धारा 370, जीएसटी आदि शामिल हैं। यदि त्यागपत्र में लिखे गए इन मुद्दों के संकेत प्राप्त करें तो ऐसा लगता है कि हार्दिक पटेल का मन कहीं ना कहीं भाजपा की ओर है। देखना होगा कि राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है।