गुजरात : मोरबी में झूलता पुल टूटा; सैंकड़ों हताहत

गुजरात : मोरबी में झूलता पुल टूटा; सैंकड़ों हताहत

रिनोवेशन के बाद तीन दिनों पहले ही पुल को आम जनता के लिये खोला गया था, स्थानीय पूर्व विधायक ने 60 लोगों के मरने की आशंका प्रकट की

गुजरात के मोरबी शहर से एक दिल दहला देने वाली खबर आ रही है। यहां मच्छू नहीं पर बना झुलता हुआ पुल टूट गया है। इस हादसे में घटना के वक्त पुल पर मौजूद सैंकड़ों लोगों के हताहत होने की आशंका जमाई जा रही है। बता दें कि रिनोवेशन के बाद तीन दिनों पहले ही इस पुल को आम जनता के लिये खोला गया था। 


घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरु कर दिया है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने भी मोरबी हादसे पर चिंता व्यक्त की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमत शाह ने मोरबी दुर्घटना पर गहरा दुःख प्रकट किया है।  प्रधानमंत्री मोदी ने इस हादसे के संबंध में गुजरात के मुख्यमंत्री एवं संबंधित अधिकारियों से बात की है। उन्होंने बचाच अभियान के लिये टीमों को तत्काल जुटाने, स्थिति की बारिकी से और लगातार निगरानी रखने और प्रभावित लोगों को हर संभव मदद करने को कहा है। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी मोरबी के लिये रवाना हो गये हैं। मुख्यमंत्री पटेल ने इस हादसे के बाद चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। समिति के सदस्य हैं आर एंड बी सचिव संदीप वसावा, आईएसएस राजकुमार बेनीवाल, चीफ इंजीनियर क्वोलिटी कंट्रोल के एम, एचओडी स्ट्रक्चरल इंजी डॉ. गोपाल टांक। डीजी एनडीआरएफ अतुल करवाली ने मीडिया से कहा है कि दुर्घटना के बाद बचाव अभियान में सहायता के लिये एनडीआरएफ की तीन टीमों (दो गांधीनगर से और एक वड़ोदरा से) पहले ही भेजा जा चुका है। 


केंद्र सरकार की ओर से हादसे में मारे गये लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और घायलों केे पचास-पचास हजार रुपये मुआवजा देने का एलान किया गया है। उधर प्रदेश सरकार ने भी मृतकों के परिजनों के लिये सहायता की घोषणा की है। दुर्घटना में मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये और घायलों को पचास-पचास हजार रुपये की सहायता प्रदान की जायेगी। 


राजकोट सिविल अस्पताल में घायलों के लिये एक अलग वॉर्ड शुरु किया गया है। यहां दस चिकित्सकों की एक टीम तैनात की गई है। वहीं जिला कलेक्टर की ओर से एक डिजास्टर कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है और 02822-243300 हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। 


बताया गया है कि हादसे के समय इस विख्यात झुलते पुल के बीच से दो टुकड़े हो गये। हादसे के वक्त पुल पर मौजूद सैंकड़ों लोग नदी के पानी के डूब गये। कितने लोग इस हादसे में नदी में डूबे हैं इसको लेकर अभी आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है। प्रत्यक्ष दर्शियों का कहना है कि कई स्थानीय लोग तैर कर टूटे पुल के पास बचाव कार्य के लिये पहुंचे और उन्हें आशंका है कि बड़ी संख्या में लोग डूब गये हैं। कई लोग जो पुल पर थे और किसी प्रकार पुल की रस्सियों को थामने में सफल रहे वे रस्सियों के सहारे खुद को बचाने की फिराक में दिखे। कई लोगों को टूटे पुल के हिस्सों पर बचकर रस्सी के सहारो सुरक्षित बाहर निकलते भी देखा गया।



यह समाचार लिखे जाने तक प्रशासन की ओर से 42 लोगों के मृतदेह सिविल अस्पताल पहुंचे की पुष्टि की गई है। मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। अपुष्ट खबरों के अनुसार बड़ी संख्या में बच्चे इस हादसे का शिकार हुए हैं। घायलों को राजकोट और अहमदाबाद के सिविल अस्पतालों में ले जाया गया है। लोगों में अफरा-तफरी का माहौल है और किसका परिजन कहां है और कौन हताहत हुआ है इसकी कोई ठोस जानकारी किसी से पास नहीं है।  न्यूज18 ने मोरबी के पूर्व विधायक कांति अमृतिया के हवाले से हादसे में 60 लोगों की मौत होने की आशंका प्रकट की है। 



जानकारी के अनुसार घटना के तुरंत बाद राहत-बचाव दस्ता सक्रिय हो उससे पहले स्थानीय लोगों ने मानव-सांकल बनाकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरु कर दिया। 



प्रारंभिक रूप से ऐसा माना जा रहा है पुल की क्षमता से अधिक लोग पुल पर पहुंच जाने के कारण यह हादसा हुआ होगा। घटना के वक्त जहां कई सौ लोग पुल पर बताये गये हैं वहीं कई सौ लोग पुल के द्वार पर अपनी बारी के इंतजार में थे। हालांकि आधिकारिक रूप से पुल के टूटने के कारण का पता नहीं चला है। आपको बता दें कि इस पुल को तीन दिनों पूर्व गुजराती न्यू इयर के दिन ही ओरेवा ग्रुप के एमडी ने जनता के लिये खोला था। इस पुल के इतिहास की बात करें 20 फरवरी, 1879 के दिन मुंबई के तत्कालीन गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने इस पुल का शिलान्यास किया था। उस वक्त लगभग 3.5 लाख रुपये की लागत पर यह पुलि 1880 में बन कर तैयार हुआ था। उस समय पुल का सामान इंग्लैंड से लाया गया था। दरबारगढ़ से नझरबाग को जोड़ने के लिये इस पुल को बनाया गया था। वर्तमान में यह झुलता हुआ पुल महाप्रभुजी की बैठक और समग्र सामाकांठा क्षेत्र को जोड़ता था। मोरबी का ये पुल 140 वर्ष से भी अधिक पुराना है और इसकी लंबाई लगभग 765 फुट है। केवल गुजरात में ही नहीं परंतु समग्र देश में यह झुलता पुल एक ऐतिहासिक विरासत के रूप में माना जाता था।