महंगाई का रंग, कर न दे होली को बेरंग

महंगाई का रंग, कर न दे होली को बेरंग

रंगों की कीमत में 25 से 30 फीसदी तक का इजाफा, पिचकारी भी मंहगी

होली का रंग गया शहर में धीरे-धीरे चढ़ने लगा है। होली हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इस त्यौहार का अपना अलग ही महत्त्व है। हालांकि घर से लेकर बाजारों तक होली की रौनक पहले जैसी नहीं है। बीते दो सालों से कोरोना के कारण बेरंग गुजर रही होली को लेकर इस बार अलग ही रौनक की उम्मीद लगायी जा रही है।  इस बार शहर के विभिन्न निजी पार्टी प्लॉट और वाटर पार्क में करीब 20 पार्टियों का आयोजन किया गया है, जिसमें शहर के लोग एक दूसरे के दोस्तों के साथ-साथ परिवार के सदस्यों को रंग और डीजे के साथ बारिश नृत्य, हलचल और मस्ती के साथ दिखेंगे। हालांकि इस बार होली पर मंहगाई का भी असर देखने को मिलने वाला है।

बता दें कि इस साल रंगों की कीमत में 25 से 30 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। साथ ही पिचकारी की कीमतों में भारी इजाफा देखने को मिल रहा है। इस साल सूरत के बाजार में 10 रुपये से लेकर 1,000 रुपये तक की पिचकारी बिक रही है। वहीं, बाजार में 200 रुपये से लेकर 800 रुपये प्रति किलो तक के रंग बिक रहे हैं। 
गौरतलब है कि पिचकारी के रंग की कीमत आमतौर पर हर साल 10 से 15% तक बढ़ जाती है। लेकिन इस साल कीमतों में 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी रंग के साथ-साथ इंजेक्टर में भी आई है। फिर भी, एक का मालिक होना अभी भी औसत व्यक्ति की पहुंच से बाहर है।