छत्तीसगढ़ : बैंक के कैशियर ने ही लगाया चूना, सिक्कों की नकली एंट्री बताकर गबन किये 5.6 करोड़ रूपये

शिकायत दर्ज होते ही कैशियर ने अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर दिया और फरार हो गया। कैशियर 25 मार्च से फरार है

व्यापारियों द्वारा बैंकों के साथ धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं लेकिन अब तो बैंक के कर्मचारी ही बैंक के साथ धोखाधड़ी करते पाए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एक शाखा में करोड़ों रुपये के गबन का मामला सामने आया है.
आपको बता दें कि यूनियन बैंक के कैशियर ने अपने ही बैंक से नकद सिक्के बैंक में जमा कराने के बहाने 5.60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। खजांची ने नौकरी के दौरान 5 साल में इस काम को अंजाम दिया। 21 अप्रैल को करेंसी चेस्ट को भेजी गई रकम की गणना की गई तो वह 5.60 करोड़ रुपये से भी कम थी। बैंक अधिकारियों की गहन जांच के बाद पूरा मामला सामने आया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रायपुर के प्रियदर्शिनी नगर स्थित यूनियन बैंक की शाखा में धोखाधड़ी की जानकारी सामने आई है। मामला तब सामने आया जब मार्च में शाखा का कैश बैंक के करेंसी चेस्ट में भेजा जा रहा था। गिनती के दौरान केवल 1,39,099 रुपये के सिक्के मिले। यह राशि बैलेंस शीट के आंकड़े से 5,59,68,259 कम थी। जांच कर रहे कैशियर किशन बघेल का नाम सामने आया। बैंक मैनेजर ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत दर्ज होते ही कैशियर ने अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर दिया और फरार हो गया। कैशियर 25 मार्च से फरार है। वह 8 साल से एक बैंक में काम कर रहा था।
कैशियर ने बैंक की नकदी से छेड़छाड़ के अलावा सात संदिग्ध खातों में लाखों रुपये भी जमा किए हैं। पुलिस और बैंक की प्रारंभिक जांच में पाया गया कि किशन बघेल ने सारा पैसा ऑनलाइन सिस्टम के जरिए खर्च नहीं किया था। वह बैंक की तिजोरी से एक बैग में नकदी और 10-10 सिक्के भी ले गया। खजांची ने हमेशा दस्तावेजों में दिखाया कि 10 रुपये के लाखों सिक्के जमा किए गए लेकिन सिक्के नहीं आए। कैशियर सिक्के डालकर पैसे निकाल लेता था। बैंक की जांच के मुताबिक 24 मार्च 2022 तक बैंक का कैश बैलेंस 4.80 करोड़ रुपये था। दो दिन बाद 26 मार्च को यह बढ़कर 6.23 करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह, सिक्के में 24 मार्च को 3.45 करोड़ रुपये और दूसरे दिन कुल 5.61 करोड़ रुपये का कैश बैलेंस था। किशन फर्जी एंट्री कर दस्तावेजों में सुधार कर रहा था। मार्च में महज दो दिनों में लाखों सिक्कों के आने से शीर्ष अधिकारियों में संदेह पैदा हो गया, जो बाद में धोखाधड़ी के आरोप में जांच के दायरे में आ गए।