अमरेली : विश्व में पहली बार खेत में ड्रोन से हुआ खाद का छिड़काव

अमरेली : विश्व में पहली बार खेत में ड्रोन से हुआ खाद का छिड़काव

अमरेली में इफको द्वारा अविष्कृत विश्व की पहली नैनो उर्वरक की प्रस्तुति

इफको ने दुनिया में पहली बार नैनो यूरिया उर्वरक का आविष्कार किया है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि इतनी लाभदायक उर्वरक को एक छोटी बोतल में भरा जा सकता है। यह खाद तरल अवस्था में है। इसके साथ ही अमरेली में पहली बार ड्रोन की मदद से खेत पर यूरिया खाद का छिड़काव किया गया। यह पूरी दुनिया के लिए एक अनूठा प्रयोग है।
जानकारी के अनुसार अमरेली स्थित अमर डेयरी में जिले की अधिकांश सहकारी समितियों का सहकारिता सम्मेलन आयोजित किया गया। इफको के वाइस चेयरमैन दिलीप संघानी और मार्केटिंग मैनेजर पटेल की मौजूदगी में ड्रोन की मदद से खेत में नैनो खाद का छिड़काव किया गया। इस पद्धति का उपयोग ऑस्ट्रेलिया सहित देशों में दवाइयों के छिड़काव के लिए किया जाता है लेकिन भारत ह नहीं विश्व में ने इफको के माध्यम से नैनो उर्वरक का उपयोग पहली बार किया है। पहला सार्वजनिक प्रयोग अमरेली में किया गया था।
चूंकि यह नैनो उर्वरक हमारा आविष्कार है, इसलिए अभी भी दुनिया में ड्रोन द्वारा इसका छिड़काव नहीं किया जा रहा है। संस्थान के उपाध्यक्ष दिलीप संघानी ने जानकारी देते हुए कहा कि पहले यूरिया खाद को एक वाहन में लोड करना पड़ता था और इसे ले जाने में काफी खर्च आता था। ऐसे में एक ट्रक में जितनी खाद भरी जा सकती है उतनी ही नैनो खाद को बाइक द्वारा आसानी से ले जाया जा सकता है। नैनो उर्वरक की एक छोटी बोतल यूरिया उर्वरक के बराबर होती है।
आपको बता दें कि खाद एक छोटी बोतल में एक बड़ी खाद के समान क्षमता है। नैनो खाद द्वारा परिवहन की लागत को कम किया जा सकता है। नैनो कम्पोस्ट वजन में हल्का, गुणवत्ता में उच्च और लागत में सस्ता है। इससे मिट्टी खराब नहीं होगी और खाद के कारण होने वाले अन्य दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। गौरतलब है कि विश्व में पहली बार नैनो पद्धति से भारत में कंपोस्टिंग की गई है, जिसकी शुरुआत सहकारी संस्था इफको ने की है।