सूरत : सरकार तक बात पहुंचाने के लिए शिक्षकों का आंदोलन, कहा- मांग नहीं मानी तो गांधीनगर तक लड़ेंगे लड़ाई
शिक्षकों की पुरानी पेंशन योजना की मांग को लेकर संघों द्वारा किया गया आंदोलन
शिक्षकों द्वारा आंदोलन के तौर पर मतदान किया
सूरत में शिक्षकों की पुरानी पेंशन योजना लागू करने और अन्य लंबित मुद्दों को लेकर आंदोलन हुआ और समझौता भी हुआ। लेकिन समझौते के मुताबिक मुद्दे नहीं सुलझने पर आज सूरत शिक्षा समिति की यूनियनों ने मांग को लेकर महामतदान, पेन डाऊन और चोक डाउन कार्यक्रम शुरू किया है। यदि इसके बाद भी कोई निर्णय नहीं हुआ तो नौ मार्च को एक लाख से अधिक शिक्षक व कर्मचारी भगवा वस्त्र, खेस, जय श्रीराम ध्वज व साफा पहनकर गांधीनगर जाएंगे।
लंबित मांग और पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकार से बातचीत का हल नहीं निकलने पर विभिन्न शिक्षा बोर्ड एक बार फिर आंदोलन की राह पर जा रहे हैं। कुछ दिन पहले राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, सूरत महानगर की कार्यकारिणी की बैठक गांधीनगर और फिर सूरत में हुई थी, जिसमें आने वाले दिनों की रणनीति की रूपरेखा तैयार की गई थी।
हालांकि शिक्षक संघ की ओर से विभिन्न कार्यक्रमों की घोषणा की गई है, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसी के चलते सूरत में शिक्षकों द्वारा सामूहिक मतदान, पेन डाउन और चोक डाउन कार्यक्रम किया गया। साथ ही महानगर के 44 केंद्रों पर मतदान एवं मतदान कर्मियों के चयन को लेकर पदाधिकारियों से चर्चा के बाद सर्वसम्मति से जोनल पदाधिकारी एवं उप जोनल पदाधिकारी की नियुक्ति की गयी।
राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. दिनेश वाघ ने कहा कि 7वां वेतन आयोग अभी भी ठीक से लागू नहीं हो सका है। 1996 से महिला शिक्षकों के मातृत्व अवकाश को लेकर भी हमारी मांग अब तक पूरी नहीं हुई है। पुरानी पेंशन योजना से लेकर विभिन्न मांगें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। इसको लेकर आज 44 केंद्रों का गठन कर मतदान कराया गया। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर गांधीनगर तक संघर्ष करने की तैयारी की गई है।