निशानेबाज चीमा का स्वर्ण पदक जीतने के बाद पेरिस ओलंपिक लक्ष्य

निशानेबाज चीमा का स्वर्ण पदक जीतने के बाद पेरिस ओलंपिक लक्ष्य

टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) एथलीट 22 वर्षीय चीमा पिछले साल हांग्जो एशियाई खेलों में 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे

गुवाहाटी, 27 फरवरी (हि.स.)। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023 अष्टलक्ष्मी में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद निशानेबाज अर्जुन सिंह चीमा ने इस साल जुलाई-अगस्त में होने वाले पेरिस ओलंपिक के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में 10 मीटर एयर पिस्टल में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए पेकिंग क्रम में सरबजोत सिंह और वरुण तोमर के बाद तीसरे स्थान पर काबिज़ चीमा कट बनाने के लिए गुवाहाटी में प्राप्त मोमेंटम का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।

पिछले साल हांगझू एशियाई खेलों में 10 मीटर एयर पिस्टल टीम स्वर्ण जीतने वाली भारतीय शूटिंग टीम में शामिल होने के बाद, अर्जुन सिंह चीमा ने अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व करने वाले चीमा ने कहा, “इस वर्ष के लिए मेरा लक्ष्य पेरिस ओलंपिक है और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में यह जीत मुझे चयन से पहले आत्मविश्वास देती है। अब मेरा ध्यान क्वालीफाइंग मार्क बनाने पर है।”

दिलचस्प बात यह है कि चीमा उत्तर प्रदेश में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के पिछले संस्करण में 10 मीटर एयर पिस्टल में चौथे स्थान पर रहे थे। हालाँकि, रविवार को काहिलपारा शूटिंग रेंज में, चीमा ने निशानेबाजों के बीच शीर्ष पर रहने के अपने संकल्प को प्रदर्शित करते हुए एक उल्लेखनीय सुधार दिखाया।

क्वालीफिकेशन राउंड में सातवें स्थान पर रहने के बावजूद, चीमा ने पहले राउंड से फाइनल में लीड करने के लिए शानदार मानसिक योग्यता का प्रदर्शन किया और शीर्ष सम्मान हासिल करने के लिए 242.5 का कुल स्कोर हासिल किया।

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के अमित के करीब आने और अंतिम दौर से पहले निशानेबाजों के बीच केवल दो अंकों के अंतर के बाद स्वर्ण जीतने वाले चीमा ने कहा, “यह एक अच्छी प्रतिस्पर्धा थी और अंत तक कड़ी हो गई थी। इस दौरान आपके मन में लाखों विचार आते हैं, लेकिन यह शांत और स्थिर रहने के बारे में है।''एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता ने इस प्रदर्शन में सुधार का श्रेय (विशेषकर एशियाई खेलों में अपनी सफलता के बाद) कारकों के संयोजन को दिया।

चीमा ने कहा, “ केआईयूजी का पिछला संस्करण मेरे लिए बहुत अच्छा अनुभव था और तब से बहुत कुछ सीखने को मिला है। मानसिक रूप से मैं अधिक केंद्रित, दृढ़ हूं और मुझे यह एहसास हो गया है कि खेल सिर्फ रिजल्ट नहीं होता बल्कि दृष्टिकोण पर भी काफी कुछ निर्भर होता है।”

चीमा ने अपने सपोर्ट सिस्टम पर भी जोर दिया, जिससे उन्हें अपने प्रदर्शन को ऊपर उठाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा, "यह सब टीम वर्क है। इसमें सिर्फ मैं ही कड़ी मेहनत नहीं कर रहा हूं, बल्कि मेरे माता-पिता, दोस्तों, मेरे खेल मनोवैज्ञानिक और सरकार का सपोर्ट भी है।"

चीमा पिछले एक साल से कुछ अधिक समय से टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) का भी हिस्सा रहे हैं और इस सपोर्ट के लिए आभारी हैं। चीमा ने कहा, “एक एथलीट को जो कुछ भी चाहिए, चाहे वह शूटिंग उपकरण हो, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए सपोर्ट हो, या आपको किसी भी प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता हो, सरकार ए से ज़ेड तक आपका सपोर्ट करती है। यह अब केवल माता-पिता पर बोझ नहीं है और मुझे लगता है कि यह सबसे बड़ी सकारात्मक बात है खेलो इंडिया गेम्स जैसे आयोजनों में भाग लेने से हमें सरकारी सपोर्ट के लिए मान्यता प्राप्त प्लेटफार्म मिलता है।”

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