विकसित राष्ट्र बनने की मैराथन दौड़ के लिए भारत की समुद्री ताकत होगी महत्वपूर्णः उपराष्ट्रपति
साथ ही उन्होंने समुद्री सुरक्षा और अन्य चिंताओं के समाधान से वैश्विक सहयोग का भी आह्वान किया
विशाखापत्तनम, 22 फरवरी (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को कहा कि 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की मैराथन दौड़ के लिए भारत की समुद्री ताकत महत्वपूर्ण होगी। साथ ही उन्होंने समुद्री सुरक्षा और अन्य चिंताओं के समाधान से वैश्विक सहयोग का भी आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आज यहां अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगोष्ठी- मिलन 2024 को संबोधित कर रहे थे। पूर्वी नौसेना कमान के काम पर हर्ष व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कमान ने भारत के समुद्री इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और देश के लिए ख्याति अर्जित की है।
उपराष्ट्रपति ने महासागरों की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रों को एक साथ आने, अनुभव साझा करने और सहयोगी रणनीति विकसित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुरक्षा, क्षेत्रीय तनावों से बचना और नीली अर्थव्यवस्था का सकारात्मक दोहन वैश्विक चिंताएं हैं, जिन्हें अब नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। समुद्री व्यवस्था का पालन क्षेत्र की शांति और सद्भाव के लिए और साथ ही आपूर्ति श्रृंखलाओं के रखरखाव और व्यापार एवं वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए भी सर्वोत्कृष्ट है।
उन्होंने कहा कि भारत समुद्री सीमाओं का सम्मान करने और नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने के महत्व को पहचानता है। हमारा मानना है कि समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) सहित अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और समुद्री संसाधनों के निरंतर उपयोग के लिए आवश्यक है। एकतरफा कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय कानून की अवहेलना के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। इससे पूरे क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।