एनआईए की विशेष अदालत ने चार माओवादियों को उम्रकैद की सजा सुनाई
हमलावरों ने सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी और उनके हथियार लूट लिये
नई दिल्ली , 13 फ़रवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) छत्तीसगढ़ की एक विशेष अदालत ने 2014 में राज्य में घात लगाकर किए गए हमले में शामिल प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के चार सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ( सीआरपीएफ) के 11 और चार पुलिस कर्मियों सहित 16 लोग मारे गए थे। एनआईए के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को बताया कि इस मामले में जगदलपुर की अदालत ने राज्य के बस्तर और सुकमा जिलों के महादेव नाग, कवासी जोगा, दयाराम बघेल और मनीराम माड़िया को दोषी ठहराया।
एनआईए के एक अधिकारी के मुताबिक ये माओवादी वरिष्ठ सीपीआई (माओवादी) नेताओं की देखरेख और निर्देशों के तहत काम करने वाले एक "गैरकानूनी संघ" के सदस्य थे। मार्च 2014 में सुकमा जिले के तहकवाड़ा इलाके में 100 सशस्त्र माओवादियों ने एक संयुक्त सड़क उद्घाटन दल पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें 11 सीआरपीएफ कर्मी, चार राज्य पुलिस कर्मी और एक नागरिक की मौत हो गई थी।
एनआईए के मुताबिक जांच से पता चला है कि आरोपितों ने हमले के लिए "जन मिलिशिया", स्थानीय ग्रामीणों और "संगम" सदस्यों को भी संगठित किया था। उन्होंने प्रतिबंधित संगठन के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर घात लगाकर किए गए हमले का नेतृत्व किया। इस दौरान आईईडी विस्फोट किया और सुरक्षा कर्मियों पर गोलीबारी की। हमलावरों ने सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी और उनके हथियार लूट लिये।
यह मामला तोंगपाल पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता, शस्त्र अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था। एनआईए ने 28 मार्च, 2014 को मामले को दोबारा दर्ज करने के बाद इसकी जांच अपने हाथ में ले ली थी और 18 अगस्त, 2015 को 11 आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था।