सूरत : कांग्रेस नेता का परिवहन विभाग पर 10 लाख वाहनों को ब्लैकलिस्ट करने का आरोप 

वाहनों को केवल 240 रुपये की नाममात्र राशि बकाया बताकर सॉफ्टवेयर में वाहनों को ब्लैकलिस्ट कर दिया 

सूरत : कांग्रेस नेता का परिवहन विभाग पर 10 लाख वाहनों को ब्लैकलिस्ट करने का आरोप 

सूरत से गुजरात परिवहन विभाग पर घोर लापरवाही और अराजक प्रशासन के आरोप लगे हैं। कांग्रेस नेता दर्शन नायक ने मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री से शिकायत कर आरोप लगाया है कि गुजरात के दस लाख वाहन चालकों को परिवहन विभाग ने ब्लैकलिस्ट कर दिया है। ढाई साल बाद पंजीकृत फोर व्हिल वाहनों को ब्लैकलिस्ट करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की गई है। आरोप है कि ट्रैफिक विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से बड़े-बड़े लोगों की साख को बट्टा लगा है। ढाई साल बाद अधिकारियों को ब्रह्मज्ञान होने पर वाहनों को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है।

दर्शन नायक ने आरोप लगाया है कि न सिर्फ कांग्रेस नेता दर्शन नायक की गाड़ी बल्कि गुजरात में ऐसी दस लाख गाड़ियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। दर्शन नायक ने आरोप लगाया कि 1 अप्रैल 2021 से आरटीओ कार्यालय द्वारा पंजीकृत सभी चार चक्रिय वाहनों को सॉफ्टवेयर में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। ऐसे वाहनों को केवल 240 रुपये की नाममात्र राशि बकाया बताकर सॉफ्टवेयर में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। अधिकांश वाहन चालकों को इस बात का अहसास भी नहीं है कि उनके वाहन ब्लैकलिस्टेड हो चुके हैं। मुझे अपने वाहन को ब्लैकलिस्ट करने के साथ-साथ अन्य चालकों के वाहनों को ब्लैकलिस्ट करने की शिकायत मिली है। जो यातायात विभाग की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। केंद्रीय परिवहन विभाग की ओर से जो सर्कुलर जारी किया गया है, वह वर्ष 2021 के बाद का है। जिसमें पंजीकरण शुल्क को संशोधित और बढ़ाया गया था, लेकिन गुजरात राज्य परिवहन विभाग, उसके अधिकारियों और परिवहन मंत्री इसे लागू करने में विफल रहने पर ध्यान नहीं दिया। इस गंभीर लापरवाही का खामियाजा गुजरात के दस लाख वाहन चालकों को भुगतना पड़ा है।

आज भी अधिकांश वाहन चालकों को यह पता नहीं है कि उनके वाहन ब्लैकलिस्टेड हो गये हैं। इतनी गंभीर लापरवाही के बाद भी सरकार अधिकारियों पर जांच और कार्रवाई करने के बजाय दोष वाहन चालकों पर मढ़ रही है। ढाई साल बाद यातायात विभाग को होश आया है और अधिकारियों ने चालकों को काली सूची में डालकर हर सम्मानित व्यक्ति की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने का काम किया है। जिन वाहनों को ब्लैकलिस्ट किया गया है, उन्हें नोटिस नहीं भेजा गया है।

सबसे गंभीर बात यह सामने आई है कि यदि कोई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाए, वाहन ट्रांसफर करना पड़े या फिर दुर्घटना के दौरान किसी व्यक्ति की मौत हो जाए तो जिम्मेदार कौन होगा, यह सवाल जरूर उठ रहे हैं। यह भी सवाल है कि सरकार के सामने यह सवाल आने के बाद भी किसी जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई क्यों नहीं की गयी। सिर्फ गाड़ियों को ब्लैकलिस्ट करने से समस्या का समाधान नहीं होगा। ब्लैकलिस्टेड वाहनों के मालिकों ने मांग की है कि लाखों लोगों को होने वाली कठिनाई के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

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