सूरत : पीएम मोदी को भेंट किया गया आईडीटी के छात्रों द्वारा बनाया गया ये खास गुलदस्ता!

आईडीटी के 6 छात्रों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ऐसी भेंट प्रदान की गई जो देश के सभी राज्यो के पारम्परिक वस्त्रों को समेटे हुए थी

सूरत : पीएम मोदी को भेंट किया गया आईडीटी के छात्रों द्वारा बनाया गया ये खास गुलदस्ता!

सूरती लोगो के हर कार्य निराले होते है,  नई तथा दूरगामी सोच के लिए सूरती विश्व मे प्रसिद्ध है। कहते है कि जहां लोगो की सोच पूरी होती है वहां पर गुजराती सोचना प्रारम्भ करते है तथा उनमें भी विशेष है सूरत के लोग। सूरत एयरपोर्ट के नए टर्मिनल तथा विश्व के सबसे बड़े कमर्शियल बिल्डिंग सूरत डायमंड बुर्ज को लोकार्पण करने के लिए  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सूरत पधारे थे। सुरतियो का उत्साह इस दौरान चरम पर था। इसी दौरान उन्हें एक ऐसी विशेष भेंट दी गई जो सूरत की उत्कृष्ट सोच को तो प्रदर्शित करती ही है साथ ही सम्पूर्ण भारत की विविधता को भी समेटे हुए है। 

उल्लेखनीय है कि सूरत की इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन एन्ड टेक्नोलॉजी(आईडीटी) के 6 विद्यार्थियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ऐसी भेंट प्रदान की गई जो देश के सभी राज्यो के पारम्परिक वस्त्रों को समेटे हुए थी। कपड़ो से बनी यह वस्तु कोई परिधान नही अपितु एक गुलदस्ते के रूप में थी जिसे आईडीटी के छह विद्यार्थियों ने 35 दिन की मेहनत के बाद मूर्त रुप दिया था। इस गुलदस्ते की खास बात यह थी कि इसके पुष्प विभिन्न राज्यो के परम्परागत वस्त्रों से बने हुए थे तथा टेक्निकल टेक्सटाईल के जरिये इसमे खुशबू भी डाली गई जो दो से  तीन साल तक रहेगी। 

यह गुलदस्ता भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सी आर पाटिल तथा केंद्रीय कपड़ा एवं रेल राज्यमंत्री दर्शना जरदोष के करकमलों से प्रधानमंत्री मोदी को प्रदत्त किया गया। 

इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए आईडीटी के निदेशक अनुपम गोयल ने बताया कि इस बुके में देश के विभिन्न राज्यों के परंपरागत कपड़ों का उपयोग किया गया। इसमें बनारसी सिल्क (उत्तर प्रदेश), चामा सिल्क (छत्तीसगढ़), चंदेरी (मध्यप्रदेश), बांधनी (गुजरात), इकत (तेलंगाना), बनाना फेब्रिक (आंध्रप्रदेश), कलमकरी (जम्मू और काश्मीर), कसावु (केरल), इकत (पश्चिम बंगाल), चिकनकारी (उत्तर प्रदेश), संबलपुरी साड़ी (उड़ीसा), मूंगा सिल्क (आसाम) आदि शामिल है। 

आईडीटी की निदेशक अंकिता गोयल ने बताया कि गुजरात की बांधणी से लेकर हैदराबाद की पोचमपल्ली तक इस बुके में रंगों और टेक्सचर की सुंदरता में वृद्धि कर रही थी।

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