सूरत : ब्रेनडेड गृहिणी के अंगदान से तीन घरों में रोशनी हुई
ब्रेनडेड महिला को श्रध्दांजली देते परिवार के सदस्य
सूरत के अमरोली क्षेत्र की निवासी और मूल रूप से महाराष्ट्र की रहने वाली 47 वर्षीय गृहिणी जयाबेन वाघ ब्रेनडेड घोषित होने पर परिवार के सदस्यों ने अंगदान का निर्णय लिया जिससे तीन जिंदगियों में नई रोशनी आयी है। वाघ परिवार द्वारा लिया गया अंगदान का यह निर्णय समाज के लिए एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है।
जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन फाउंडेशन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अमरोली के श्रीराम नगर सोसायटी निवासी और मूल रूप से धुलिया के देउड गांव की रहने वाली जयाबेन नानाभाई वाघ (उम्र- 47) 21-11-2023 को सुबह 11 बजे जहांगीरपुरा आश्रम से बेटा योगेश के साथ जब अमरोली घर जा रहे थे तो अचानक सड़क पर एक बम्पर आया और पीछे बैठी जयाबेन उछलकर सड़क पर गिर गई और वहीं बेहोश हो गये। जिन्हें 108 एंबुलेंस के माध्यम से किरण अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टर द्वारा न्यूरोसर्जरी की गई, लेकिन मरीज में कोई सुधार नहीं होता देख डॉक्टर भूमिक ठाकोर, डॉ. हिना फल्दू, डॉ. दर्शन त्रिवेदी, डॉ. मेहुल पांचाल ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया।
ब्रेन डेड घोषित होने से निराश परिवार के सदस्यों ने हरीश पजारे और दीक्षित त्रिवेदी से संपर्क किया। उन्होने अंगदान चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक दिलीपदादा देशमुख के माध्यम से जीवनदीप अंगदान फाउंडेशन के पी एम गोंडलिया और विपुल तडाविया का संपर्क किया।
चिकित्सकों की टीम और सूरत निवासी परिवार के सदस्यों को आमने-सामने बैठकर अंगदान का महत्व समझाया, सभी के साझा प्रयासों से परिवार के सदस्यों ने अंगदान के लिए सहमति जताई और किरण अस्पताल में लीवर और दो किडनी स्वीकार कर ली गईं। जिन्हें इस अस्पताल में इलाज करा रहे महाराष्ट्र के 28 वर्षीय व्यक्ति, भरूच की 54 वर्षीय महिला और सूरत की 49 वर्षीय महिला में प्रत्यारोपित किया गया।
विशेष रूप से, विपुल तलाविया ने कहा कि जयाबेन का बेटा योगेश किरण जेम्स में लेजर ऑपरेटर के रूप में काम करता है और छोटा बेटा विनोद भी किरण जेम्स में इलेक्ट्रीशियन के रूप में काम करता है। परिवार के सदस्य आध्यात्मिक हैं, इसलिए उन्हें अंगदान का महत्व समझ में आया, उन्होंने अंग दान करने का निर्णय लेने की ठानी।