गाइडेड मिसाइल विध्वंसक इंफाल से ब्रह्मोस फायरिंग का पहला परीक्षण

स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्मों की विश्वसनीयता परखने पर फोकस किया गया

गाइडेड मिसाइल विध्वंसक इंफाल से ब्रह्मोस फायरिंग का पहला परीक्षण

ब्रह्मोस मिसाइल ने 90 डिग्री का टर्न लेकर अपनी क्षमता का अपेक्षित प्रदर्शन किया

नई दिल्ली, 22 नवंबर (हि.स.)। भारतीय नौसेना के नवीनतम स्वदेशी निर्देशित मिसाइल विध्वंसक इंफाल ने बुधवार को समुद्र में अपनी पहली ब्रह्मोस फायरिंग में 'बुल्स आई' स्कोर किया। यह पहला मौका है जब नौसेना ने किसी जहाज के चालू होने से पहले उससे विस्तारित रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण किया है। परीक्षण के दौरान जहाज की लड़ाकू तत्परता के साथ भारत की बढ़ती जहाज निर्माण क्षमता, स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्मों की विश्वसनीयता परखने पर फोकस किया गया।

नौसेना प्रवक्ता के मुताबिक कमीशनिंग से पहले किसी युद्धपोत से विस्तारित रेंज वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का यह पहला परीक्षण है, जो युद्ध की तैयारी पर भारतीय नौसेना के अटूट फोकस, आत्मनिर्भर भारत की बढ़ती जहाज निर्माण क्षमता को रेखांकित करता है। ब्रह्मोस मिसाइल ने 90 डिग्री का टर्न लेकर अपनी क्षमता का अपेक्षित प्रदर्शन किया। यह जहाज इसी साल 20 अक्टूबर को भारतीय नौसेना को मुंबई के मझगांव शिपबिल्डर्स ने सौंपा था।प्रोजेक्ट-15 बी क्लास स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर का चार जहाजों में से यह तीसरा युद्धपोत है। इसे जल्द ही नौसैनिक बेड़े में शामिल करने से भारत की समुद्री ताकत बढ़ेगी।

प्रोजेक्ट 15बी के तहत तैयार किया गया तीसरा जंगी जहाज इंफाल पहली बार इसी साल 28 अप्रैल को समुद्री परीक्षण के लिए पहली बार रवाना किया गया था।विशाखापत्तनम श्रेणी के स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक के तीसरे जहाज आईएनएस इंफाल का निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) में किया गया है।जहाज के निर्माण की आधारशिला 19 मई, 2017 को रखी गई थी। यह भारतीय नौसेना का पहला जहाज है, जिसका नाम पूर्वोत्तर भारत के एक शहर के नाम पर रखा गया है।

नौसेना के मुताबिक राडार से बचने में सक्षम युद्धपोत इंफाल को कई विशिष्ट तकनीकों तथा उच्च स्वदेशी सामग्री से लैस किया गया है। इसे नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने इन-हाउस डिजाइन किया है। इंफाल को अब तक का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत विध्वंसक युद्धपोत होने का अनूठा गौरव प्राप्त होगा। युद्धपोत इंफाल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और मणिपुर राज्य के लिए महत्वपूर्ण होगा।

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