सूरत : बर्खास्त टीआरबी जवानों ने जिला कलेक्टर कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया
नौकरी से निकाले जाने पर टीआरबी जवानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की
राज्य सरकार के आदेश के चलते राज्य पुलिस प्रमुख की ओर से 6,000 से अधिक टीआरबी कर्मियों को मानद सेवा से मुक्त करने का सर्कुलर जारी किया गया है। इससे टीआरबी जवानों की रोजी-रोटी छिन गयी। इसलिए टीआरबी जवान गुस्से में हैं।
पूरे गुजरात में 6,000 से अधिक टीआरबी कर्मियों को रिहा करने के फैसले के खिलाफ सूरत में भी विरोध प्रदर्शन किया गया है। सरकार के इस फैसले के बाद सूरत शहर में सेवारत लगभग 1600 टीआरबी जवानों ने एक समूह बनाया है और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया है। आज बुधवार 22 नवंबर को लगभग 400 टीआरबी जवान मोर्चा लेकर सूरत जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे।
गुजरात कांग्रेस के लिगल सेल और ओबीसी सेल के नेतृत्व में जिला कलेक्टर कार्यालय में प्रस्तुति देने पहुंचे टीआरबी कर्मियों ने सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। जमकर नारेबाजी करते हुए टीआरबी जवानों ने सरकार द्वारा जारी सर्कुलर को वापस लेने की मांग की। उन्होंने सरकार द्वारा सर्कुलर वापस नहीं लेने पर अपने परिवार के साथ सड़कों पर उतरने की धमकी भी दी।
27 नवंबर को सूरत स्टेशन रोड पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा
टीआरबी जवान ने कहा कि सरकार ने टीआरबी जवानों के साथ अन्याय किया है। टीआरबी में गरीब महिलाएं भी शामिल हैं। इस मामले में सूरत जिला कलेक्टर को लिखित शिकायत सौंपी गई है। इतना ही नहीं, बल्कि 27 नवंबर को सूरत रेलवे स्टेशन रोड स्थित सरदार प्रतिमा के पास टीआरबी जवानों के साथ सरकार के खिलाफ धरना दिया जायेगा।
पति की मौत के बाद परिवार को संभालने वाली टीआरबी महिला बेरोजगार हो गई
महिला टीआरबी कांस्टेबल सोनलबेन राठौड़ ने कहा कि वह दस साल से टीआरबी में सेवा दे रही हैं। पति की मृत्यु के बाद उन पर अपने बच्चों और परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी है। माँ को लकवा है, जिसकी देखभाल की जिम्मेदारी भी खुद पर ही है। सरकार के फैसले के बाद अचानक छंटनी के आदेश दिए गए हैं। ऐसे में बच्चों और परिवार का भरण-पोषण कैसे किया जाए यह बड़ा सवाल है।