सूरत :  चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा 'विश्व बधिरता दिवस' पर सेमिनार का आयोजन

उन बातों पर विश्वास न करें जो बच्चा तीन या पांच साल में सुनेगा, समय पर डॉक्टर से इलाज कराना चाहिए: विशेषज्ञ डॉक्टर

सूरत :  चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा 'विश्व बधिरता दिवस' पर सेमिनार का आयोजन

दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने श्रुति ईएनटी हॉस्पिटल और कॉक्लियर इंप्लांट सेंटर के सहयोग से रविवार को  24 सितंबर, 2023 को समृद्धि, नानपुरा, सूरत में 'विश्व बहरापन दिवस' के जश्न के तहत एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें आंख-नाक-कान एवं गला विशेषज्ञ डॉ. सौमित्र शाह और ऑडियोलॉजिस्ट डॉ. पारुल काजलिया ने बहरेपन के कारण और उससे बचाव के उपाय पर मार्गदर्शन दिया।

डॉ. सौमित्र शाह ने कहा कि बहरापन शरीर और परिवार दोनों को प्रभावित करता है। धूम्रपान से बहरापन भी हो सकता है। कभी-कभी मलेरिया या किसी अन्य बीमारी के कारण भी बहरापन हो सकता है। कान के परदे की बीमारी और कान की नलिका के कमजोर होने के कारण भी बहरापन हो जाता है। कुल बहरेपन के मरीजों में से 16 प्रतिशत औद्योगिक शोर के कारण बहरे हो जाते हैं। क्योंकि आए दिन मशीनों के शोर से कान की नसें कमजोर हो जाती हैं। आज के युग में ईयर फोन और अधिक शोर भी बहरेपन का कारण बन सकता है। जब स, श और थ जैसे शब्द सुनाई देने बंद हो जाएं तो जांच करानी चाहिए।

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बहरेपन के कारण व्यक्ति की एकाग्रता कमजोर हो जाती है। यह चिंता और घबराहट, हृदय रोग, उच्च तनाव, चिड़चिड़ापन, थकान, बोलने में समस्या, मधुरता और आवेग में वृद्धि जैसी विभिन्न शारीरिक और मानसिक बीमारियों का कारण बनता है। उन्होंने कहा, जैसे जब कोई बच्चा पैदा होता है तो इस बात का ध्यान रखा जाता है कि उसके दिमाग पर सर्दी-खांसी और बुखार न चढ़े, अगर वह नहीं सुन रहा है तो अभिभावक को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। बहरेपन की प्रारंभिक जांच बच्चे के जन्म के तीन महीने के भीतर की जानी चाहिए। यह परीक्षा विदेशों और भारत में केरल जैसे राज्यों में अनिवार्य है। उन बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए की बच्चा तीन साल या पांच साल में सुनेगा।

डॉ. पारुल काजलिया ने कहा, जब कोई व्यक्ति लगातार तेज आवाज सुनने के कारण बहरा हो जाता है तो उसे स्पीच थेरेपिस्ट की जरूरत पड़ती है। कई बार बात करते समय ऐसा होता है कि शब्द तो सुनाई देते हैं लेकिन समझ नहीं आते। समझने के समय में दूसरा वाक्य बोल दिया जाता है और उस पर ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसे समय में लोगों को बातचीत करने में दिक्कत होने लगती है। उन्होंने इसके समाधान हेतु विस्तृत मार्गदर्शन दिया।

चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रमेश वघासिया ने स्वागत भाषण दिया। मानद कोषाध्यक्ष किरण ठुम्मर ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी का आभार व्यक्त किया। चैंबर की सार्वजनिक स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष डॉ. पारुल वडगामा ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। सह-अध्यक्ष डॉ. निपेश पटेल ने सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन किया। जबकि सह-अध्यक्ष डॉ. जगदीश वघासिया ने विशेषज्ञ वक्ताओं का परिचय दिया। डॉक्टरों ने दर्शकों के विभिन्न सवालों के जवाब दिए और फिर कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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