सूरत : चैंबर ऑफ कॉमर्स ने 84 शिक्षकों को 'सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार' से सम्मानित किया
सुदूर गांवों में जाकर बच्चों को पढ़ाने वाले गुरुवर्यों का आज राष्ट्र निर्माण में सबसे बड़ा योगदान है: शिक्षा मंत्री प्रफुल्ल पानशेरिया
गुरु के कारण ही व्यक्ति को मिलती है श्रेष्ठता : चैंबर अध्यक्ष रमेश वघासिया
दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) ने शनिवार को प्लैटिनम हॉल, सरसाणा, सूरत में 'सारस्वत सम्मान समारोह' का आयोजन किया गया। जिसमें गुजरात के शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुल्ल पानशेरिया और वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. किशोर सिंह चावड़ा, वीएनएसजीयू के पूर्व कुलपति और वनिता विश्राम महिला विश्वविद्यालय के प्रो-वोस्ट डॉ. दक्षेश ठाकर और ओरो यूनिवर्सिटी के प्रो-वोस्ट प्रोफेसर परिमल व्यास की उपस्थिति में, राष्ट्रपति पदक पुरस्कार विजेता डॉ. रीताबेन फुलवाला सहित पूरे गुजरात के 84 गुरुवर्यों को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रमेश वघासिया ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि समाज की नींव के निर्माता गुरुजनों के प्रति आभार व्यक्त करने के उद्देश्य से चैंबर ऑफ कॉमर्स ने गुरुवर्यों को पुरस्कार देने का निर्णय लिया है। चैंबर को पूरे गुजरात से 100 से अधिक नामांकन प्राप्त हुए। इन नामांकनों में से अंतिम चयन करने का कार्य बेहद कठिन था, लेकिन जूरी के छह सदस्यों ने राष्ट्रपति चंद्रक पुरस्कार विजेता डॉ. रीताबेन फुलवाला और रंजनबेन पटेल के अलावा, नंदिनीबेन शाह, महेश पमनानी, डॉ. संजय मेहता और सवजीभाई पटेल ने इस जटिल कार्य को आसान बना दिया।
इस संसार में जब भी किसी प्रकार की उपलब्धि हासिल होती है तो उसके पीछे कही ना कही गुरु की भूमिका होती है। गुरु के कारण ही व्यक्ति को श्रेष्ठता प्राप्त होती है। वह गुरु माता-पिता भी हो सकते हैं। माता-पिता व्यक्ति को जीवन और जीवन जीने की खुली जमीन देते हैं, लेकिन गुरु व्यक्ति को जीवन जीने की सही दिशा और दृष्टिकोण देते हैं। आज गुरुजन उद्योग जगत में मानव संसाधन उपलब्ध कराने का कार्य भी कर रहे हैं।
गुजरात के शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुल्ल पानशेरिया ने समारोह में उद्बोधन देते हुए कहा कि गुरुओं के प्रति सम्मान का अर्थ ज्ञान के प्रति सम्मान है। सारस्वत का सम्मान करना समाज के स्वास्थ्य का सम्मान करना है। शिक्षक का स्थान समाज में सर्वोच्च स्तर पर है। ऐसे व्यक्ति को हम दिव्य कहते हैं। शिक्षा में श्रम का मूल्य सेवा है। राष्ट्र निर्माण के यज्ञ में इनका सर्वोत्तम योगदान है। आज जो शिक्षक सुदूर गांवों में जाकर बच्चों को पढ़ाता है और ज्ञान देता है, उनका राष्ट्र निर्माण में सबसे बड़ा योगदान है।
चैंबर ऑफ कॉमर्स ने पुरस्कार के लिए प्रत्येक शिक्षक का विस्तृत परिचय पढ़ा और पुरस्कार के लिए सात मानदंड निर्धारित किए। इसमें प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक, माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक, विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के विभाग प्रमुख, सेवानिवृत्त शिक्षाविद्, निजी शिक्षण संस्थान और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले अधिकारी शामिल थे। निर्णायक मंडल द्वारा किये गये चयन के अंत में डॉ. रीताबेन फुलवाला सहित 84 गुरुवर्यों को 'सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार' देकर सम्मानित किया गया।
चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष विजय मेवावाला ने समारोह में उपस्थित सभी को धन्यवाद दिया। समारोह में तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष हिमांशु बोडावाला, मानद कोषाध्यक्ष किरण ठुम्मर, समूह अध्यक्ष मनीष कापड़िया और पूर्व अध्यक्ष उपस्थित थे। पूरे समारोह की अध्यक्षता मानद मंत्री निखिल मद्रासी ने की। चैंबर के ग्रुप चेयरपर्सन डॉ. बंदना भट्टाचार्य, महिला उद्यमी सेल की चेयरपर्सन कृतिका शाह, डिंपल मिश्रा, डॉ. पूर्वी कोठारी, डॉ. रिंकल जरीवाला और जिल्पा सेठ ने समारोह का प्रदर्शन किया। इस समारोह में जूरी सदस्यों को भी सम्मानित किया गया।