गुजरात : सरकार ने विधानसभा में ओबीसी आरक्षण बिल पास किया, नगर पालिकाओं, पंचायतों में लागू होगा 27 फीसदी आरक्षण

भाजपा सरकार ने 2014 में स्थानीय स्व-राज्य निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय किया था : ऋषिकेश पटेल

गुजरात : सरकार ने विधानसभा में ओबीसी आरक्षण बिल पास किया, नगर पालिकाओं, पंचायतों में लागू होगा 27 फीसदी आरक्षण

 गुजरात में अगस्त महीने में राज्य सरकार ने काफी समय से चर्चा में रहने वाली झवेरी आयोग की रिपोर्ट की घोषणा की थी। ग्रामीण और शहरी स्थानीय स्व-राज्य की निकायों में एससी और एसटी आरक्षण में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसके अलावा ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की गई। शुक्रवार को राज्य सरकार ने विधानसभा में ओबीसी आरक्षण बिल यानी गुजरात स्थानीय सत्ता मंडल अधिनियम संशोधन विधेयक-2023 पारित कर दिया है। इस बिल के पारित होने से अब नगर पालिकाओं और पंचायतों में 27 फीसदी आरक्षण लागू होगा। विधानसभा में ओबीसी आरक्षण बिल के पारित होने से आठ महानगर पालिकाओं में 181 सीटें, 33 जिला पंचायतों में 206 सीटें, तालुका पंचायतों में 906 सीटें, 156 नगर पालिकाओं में 1270 सीटें और ग्राम पंचायतों में 22,617 सीटें ओबीसी समुदाय के लिए आरक्षित की जाएंगी।

सरकार के मंत्री ऋषिकेष पटेल ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा संभाला 

राज्य सरकार के प्रवक्ता मंत्री ऋषिकेष पटेल ने कहा कि 20-12-1972 को बख्शी आयोग का गठन किया गया और 82 जातियों को आरक्षण देने की सिफारिश की गयी। उस समय गुजरात की माधव सिंह सरकार ने इसे लागू करने से परहेज किया। बाद में जनता दल सरकार ने 1-4-1978 के प्रस्ताव से  आरक्षण दिया था। 7-6-1980 से 30-3-1985 तक माधव सिंह की सरकार में कोई कार्यवाही नहीं हुई। 1993 में जब इसी विधानसभा में बिल पेश किया गया तो हमारी पार्टी ने पूरा समर्थन दिया। 2006 से भारत के शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी की शुरुआत हुई है। 10-4-2008 को सुप्रीम कोर्ट ने 20 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा। गुजरात की भाजपा सरकार ने 2014 में स्थानीय स्व-राज्य निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया था।

कांग्रेस विधायक अमित चावड़ा ने बीजेपी पर हमला बोला

बिल पास होने से पहले कांग्रेस विधायक अमित चावड़ा ने मीडिया से कहा कि इसमें आर्थिक, सामाजिक और बजट में भेदभाव होता है। स्थानीय स्व राज्य में 10 प्रतिशत आरक्षण भाजपा ने खत्म की है। स्थानीय स्वराज्य में प्रति इकाई ओबीसी समुदायों को आरक्षण दिया जाना था। 50 फीसदी की ऊपरी सीमा को ध्यान में रखते हुए ओबीसी को आरक्षण दिया जाना था। सुप्रीम कोर्ट और झवेरी आयोग के मुताबिक जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण दिया जाना चाहिए था। सरकार ने सिर्फ 27 फीसदी आरक्षण देकर सुप्रीम कोर्ट का अवमानना किया है। बिल पेश होने से पहले विधानसभा में रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। अगर जनसंख्या के आधार पर आरक्षण दिया जाता है तो ओबीसी समुदाय 45 फीसदी तक आरक्षण पाने का पात्र है।