जी20: विश्व बैंक ने भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रॉस्ट्रक्चर को सराहा

डीपीआई की बदौलत यह यात्रा 47 साल पहले ही पूरी हो गई है

जी20: विश्व बैंक ने भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रॉस्ट्रक्चर को सराहा

नई दिल्ली, 08 सितंबर (हि.स.)। डिजिटल पब्लिक इन्फ्रॉस्ट्रक्चर (डीपीआई) का भारत पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ा है। यह वित्तीय समावेशन से कहीं आगे है। जी-20 ग्लोबल पार्टनरशिप के लिए विश्व बैंक द्वारा तैयार वित्तीय समावेशन दस्तावेज में मोदी सरकार के तहत पिछले एक दशक में भारत में डीपीआई के परिवर्तनकारी प्रभाव की सराहना की है।

दस्तावेज में मोदी सरकार द्वारा उठाए गए अभूतपूर्व कदमों और डिजिटल पब्लिक इंफ्रॉस्ट्रक्चर (डीपीआई) परिदृश्य को आकार देने में सरकारी नीति और विनियमन की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई है। इसमें भारत के डीपीआई दृष्टिकोण की सराहना करते हुए विश्व बैंक के दस्तावेज में कहा गया है कि भारत ने केवल छह वर्षों में वह हासिल कर लिया है जो लगभग पांच दशकों में होता।

जेएएम ट्रिनिटी ने वित्तीय समावेशन दर को 2008 में 25 प्रतिशत से बढ़ाकर पिछले छह वर्षों में वयस्कों के 80 प्रतिशत से अधिक कर दिया है। डीपीआई की बदौलत यह यात्रा 47 साल पहले ही पूरी हो गई है। पीएमजेडीवाई खातों की संख्या मार्च 2015 में 14.72 करोड़ से तीन गुणा होकर जून 2022 तक 46.2 करोड़ हो गई है। इनमें से 56 प्रतिशत यानी 260 मिलियन से अधिक खातों की मालिक महिलाएं हैं।

पिछले दशक में भारत ने डीपीआई का लाभ उठाते हुए दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल गवर्नमेंट टू पर्सन आर्किटेक्चर में से एक का निर्माण किया है। इस दृष्टिकोण ने 312 प्रमुख योजनाओं के माध्यम से 53 केंद्र सरकार के मंत्रालयों से सीधे लाभार्थियों को लगभग 361 अरब डॉलर की राशि हस्तांतरित की है।

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