
सूरत : महज 15 रुपये में बांग्लादेशी और रोहिंग्या बन रहे हैं भारतीय नागरिक, पुलिस ने किया खलुासा!
पैसे लेकर फर्जी पैन कार्ड, आधार कार्ड और इलेक्शन कार्ड बनाये जाते थे
सूरत के एचडीएफसी बैंक से फर्जी डोक्युमेन्ट पर 92 लाख रुपये का लोन लेने वालों के खिलाफ बैंक मैनेजर ने शिकायत दर्ज कराई है। इस लोन में इस्तेमाल किए गए फर्जी दस्तावेजों की जांच शुरू करने वाली इकोनॉमी सेल ने एक ऐसे घोटाले का खुलासा किया है जिससे देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ उसकी सुरक्षा को भी खतरा है।
लोगों से ऑनलाइन पैसे लेकर फर्जी पैन कार्ड, आधार कार्ड और इलेक्शन कार्ड बनाये जाते थे। इसका उपयोग सिम कार्ड और बैंक ऋण और बांग्लादेशियों द्वारा देश की नागरिकता लेने के लिए किया गया था। इकोनॉमी सेल ने करीब दो लाख फर्जी दस्तावेज बनाने वाले गिरोह को पकड़कर बड़ी सफलता हासिल की है। देश के शीर्ष शहरों में अपने एजेंट बनाकर फर्जी दस्तावेज बनाकर इस तरह से कारोबार करने की वारदात से पुलिस भी हैरान है। महज पंद्रह रुपए में फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए।
पालनपुर पाटिया निवासी और एचडीएफसी में बैंक मैनेजर के पद पर कार्यरत अशोक मणिलाल पिपरोदिया ने ईको सेल में फर्जी दस्तावेज देकर लोन लेने वाले गिरोह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। आरोपी द्वारा फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड सहित सैलरी स्लिप से करीब 92.57 लाख रुपए का लोन लेने वाले दस्तावेज पेश किए गए। जिसके आधार पर ईको सेल द्वारा प्रारंभिक जांच की गई।
छह आरोपियों को पकड़ लिया गया। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से प्रिंस हेमंतकुमार से गहन पूछताछ के दौरान फर्जी दस्तावेज बनाने का खुलासा किया। हेमंत ने वेबसाइट के जरिए फर्जी दस्तावेज रखने की बात स्वीकार की है। पुलिस भी उस समय हैरान रह गई जब उसने स्वीकार किया कि उसने दो लाख दस्तावेज बनाए हैं। 15 से 50 रुपये में ऑनलाइन फर्जी सबूत तैयार किए जा रहे थे।
महज 15 से 50 रुपये में फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, चुनाव कार्ड और जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए जा रहे थे। इको सेल की प्रारंभिक जांच से पता चला कि यह ऑपरेशन मूल रूप से उत्तर प्रदेश और राजस्थान से संचालित किया गया था।
दो लाख रुपये में बनाई थी वेबसाइट
पुलिस कमिश्नर अजय तोमर ने बताया कि दो लाख में वेबसाइट बनाई जाती थी और लोगों को ऑनलाइन एजेंट बनाकर इन दस्तावेजों को बनाने के लिए ग्राहक लाने वालों को कमीशन दिया जाता था। इसके अलावा पुलिस ने 25 लाख की रकम भी फ्रीज कर दी है। इस बीच पता चला कि आरोपी प्रेमसिंग पैनल डोट एक्सवाईझेड नाम की साइट का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस बीच उनके साथ काम करने वाले लोगों से कमीशन पर 199 रुपये चार्ज वसूला जा रहा था। दो लाख फर्जी दस्तावेजों के साक्ष्य का विवरण पुलिस को मिल गया है। वेबसाइट का संचालन राजस्थान के गंगानगर से किया जाता था। जांच में पता चला कि वेबसाइट पर नाम बताने वाला शख्स यूपी के उन्नाव का रहने वाला है। पुलिस ने अब तक राजस्थान, बिहार और सूरत से आठ लोगों को गिरफ्तार किया है।
ईकोसेल द्वारा आरोपी को गिरफ्तार किया गया
सोमनाथ प्रमोदकुमार
प्रेमवीर सिंह धर्मवीरसिंह ठाकुर
राजकुमार हेमन्तकुमार प्रसाद
पृथ्वीसिंग बजरंग सिंह राठौड़
अबुसाद जावेद खान
सुफियान मुबिद मालेक
रामस्वरूप छन्नूलाल लोधी
मुकेश भीमसिंह चौधरी