प्रदीप डॉन हत्याकांड में सजा काट चुका जिग्नेश सोनी क्रिकेट-डब्बा ट्रेडिंग में गिरफ्तार
क्रिकेट सट्टा और डब्बा ट्रेडिंग में पकड़ा गया आरोपित, दो अन्य भी गिरफ्तार
अहमदाबाद, 19 जुलाई (हि.स.)। स्टेट मॉनिटरिंग सेल (एसएमसी) ने क्रिकेट सट्टा और शेयर बाजार के डब्बा ट्रैडिंग पर छापेमारी कर 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। बताया गया कि आरोपित जिग्नेश सोनी इस सट्टा-डब्बा ट्रेडिंग का संचालन कर रहा था।
सोनी अहमदाबाद के खाडिया में कुख्यात डॉन प्रदीप डॉन की हत्या केस में 10 साल जेल में काट आया है और दो साल पहले ही वह जेल से छूटा है। इसके बाद वह दुबई के बुकियों के साथ मिलकर सट्टा और डब्बा ट्रेडिंग का नेटवर्क बनाने में जुटा था। साबरमती जेल में भी जिग्नेश का दबदबा बताया जाता है। एसएमसी की छापेमारी के दौरान जिग्नेश सोनी के कार्यालय के अंदर और बाहर सीसीटीवी और बायोमैट्रिक गेट मिला।
जानकारी के अनुसार स्टेट मॉनिटरिंग सेल की टीम ने आनंदनगर क्षेत्र के पीएनटीसी बिल्डिंग में छापेमारी कर सट्टा और डब्बा ट्रैडिंग करवा रहे जिग्नेश सोनी, खेतान पटेल, हर्षल सोनी को पकड़ा। इन तीनों के पास से 8 मोबाइल, 3 लैपटॉप, एक डायरी, एक राइटिंग पैड समेत 1.71 लाख रुपए कब्जे किया गया। इन तीनों से पूछताछ में पता चला कि क्रिकेट का सट्टा राधे एक्सचेंज की आईडी पर किया जा रहा था। यह आईडी दुबई में बैठे एरिक शाह, राज पटेल और हाल दुबई में छिपा टॉमी ऊंझा ने बनाया था।
वहीं शेयर डब्बा ट्रेडिंग एरोबिक्रस नाम के सर्वर से होता था। यह सर्वर एरिक शाह, अजीत खत्री, हरेश धरसंडिया, जीगर और जेनिल ने बनाया था। इसके जरिए डब्बा ट्रेडिंग का अवैध कारोबार किया गया था। एसएमसी के अनुसार क्रिकेट आईडी पर सट्टा खेल रहे 8 और सर्वर पर डब्बा ट्रेडिंग करने वाले 11 ग्राहकों के नाम का भी पता चला है। इनके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज इनकी खोजबीन की जा रही है। एसएमसी ने सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर उन्हें आनंदनगर पुलिस थाने को सौंपा है। क्रिकेट आईडी में एरिक शाह, राज पटेल और टॉमी ऊंझा को फरार बताया गया है। इसमें डिब्बा ट्रैडिंग में एरिक शााह, अजीत खत्री और हरेश धरसंडिया, जिगर और जेनिल को फरार बताया गया है।
कुख्यात प्रदीप डॉन की हत्या में संलिप्त था जिग्नेश
वर्ष 2009 में अहमदाबाद के खाडिया पुलिस स्टेशन की सीमा में प्रदीप डॉन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या केस में पुलिस ने 5 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। इसमें जिग्नेश सोनी और राकेश पंडया की अहम भूमिका का पता चला। प्रदीप डॉन की हत्या के बाद जिग्नेश सोनी और उसके गुर्गे को जेल भेज दिया गया। साबरमती जेल में जिग्नेश वहां मौजूद दूसरे अपराधियों से हिलमिल गया। पेरोल पर बाहर आने के बाद जिग्नेश सोनी ने अहमदाबाद कोट क्षेत्र में अवैध निर्माण करनेवाले बिल्डरों को टार्गेट करने लगा और उनसे फिरौती वसूली शुरू कर दी। कुछ वर्ष बाद जिग्नेश के खिलाफ 75 लाख रुपए की रंगदारी मांगने मामले में खाडिया पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई।