सूरत : एसटीएम के दुकानदारों ने लीज रिन्युअल की रकम जंत्री भाव से होने पर उठायें सवाल

सूरत : एसटीएम के दुकानदारों ने लीज रिन्युअल की रकम जंत्री भाव से होने पर उठायें सवाल

सूरत। महानगर पालिका द्वारा एसटीएम कोआपरेटिव हाउसिंग सोसीईटी के लीज रिन्युअल का प्रिमियम एमाउंट 127 करोड़ रूपये तय‌ किया गया है। साथ ही इसके भुगतान का समय १० साल निर्धारित है। लेकिन कोआपरेटिव सोसाईटी के एक तिहाई सदस्य अभी भी महानगर पालिका के लीज एमाउंट को भरने को लेकर उदासीन हैं। एसटीएम प्रबंधन द्वारा किश्तों में बांधे गये पांच लाख रूपये प्रति दुकान को दुकानदार द्वारा भरना तो दूर की बात, इसके उलट उन्होंने कोर्ट का रूख कर लिया है। लोकतेज ने एसटीएम कोआपरेटिव सोसाईटी के कई सभासदों से जानना चाहा कि ऐसे कौन से बिंदु हैं जिन पर सोसाईटी के सभासद असहमत हैं अथवा उनकी नाराजगी है? जिसकी वजह से उन्होंने अभी तक पैसा नहीं भरा है अथवा कोर्ट‌ का रूख किया?

इस मुद्दे पर मार्केट के शाप होल्डर मनीष गुप्ता ने कहा कि हालांकि‌ उन्होंने कमेटी द्वारा तय किये गये लीज के प्रिमियम एमाउंट का पांच लाख जमा तो कर दिया है, लेकिन कमेटी के कामकाज से वे असहमत हैं। गुप्ता ने कहा कि बीपीएमसी एक्ट के अनुसार महानगरपालिका लीज पर दी गयी जमीन का पूरा पैसा नहीं मांग सकती। लीज रिन्युअल के‌ समय अलबत्ते भाड़ा बढा कर लिया जा‌ सकता है। पचास साल पहले के भाड़ा के मुकाबले अब के भाड़ा में अंतर हो सकता है और हम भाड़ा बढाकर देने को तैयार हैं। हम जमीन की कीमत भी देने को तैयार हैं, बशर्ते मनपा इस जमीन की रजिस्ट्री सोसाईटी के नाम कर दे।

लीज रिन्यूअल को लेकर हाईकोर्ट‌ में पिटिशनर एवं मार्केट के शाप होल्डर विकास गु्प्ता ने एसटीएम कमेटी से दो टूक सवाल पूछा एवं कहा कि पुराने लीज डीड को फालो क्यों नहीं किया जा रहा है? उन्होंने कहा कि पुराने लीज डीड के मुताबिक पचास‌ साल का टर्म बीतने के छ माह पूर्व एसटीएम कोआपरेटिव सोसाईटी को लीज रिन्युअल कराने में अगर इन्टरेंसट है तो मनपा को लिखकर देना होगा। तब मनपा और एसटीएम कमेटी बैठकर तय करेगी कि नया भाड़ा क्या होगा? बैठक में अगर भाडे़ को लेकर सहमति नहीं बनती है तो आर्बिटेशन में जाने का प्रावधान है। गुप्ता ने कहा कि प्रिमियम एमाउंट जंत्री भाव से क्यों होगा? जंत्री भाव से होने का मतलब है कि हम जमीन की कीमत दे रहे हैं और अगर हम जमीन की कीमत दे रहे हैं तो जमीन की रजिस्ट्री भी हमारे नाम से होनी चाहिये।

एसटीएम कोआपरेटिव सोसाईटी मे समस्याओं को लेकर सदैव मुखर रहने वाले दुकानदार जशराज भोगर‌ के अनुसार सरकार जंत्री भाव से पैसा मांग रही है, यह गलत है। दुकानों का एग्रीमेटं भाड़ा करार का होता है। यह बेचने जैसा मामला है। उन्होंने कहा कि हालांकि मैंने कमेटी द्वारा तय किये पांच लाख की राशि को जमा करा दिया है लेकिन यह संबंधों के आधार पर ही है। हमारे जैसे काफी दुकानदारों ने संबंधों के आधार पर पैसा जमा किया है लेकिन वे रिन्युअल के कंडीशन पर सहमत नहीं हैं।