बिहार सरकार को भारी पड़ी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल की अनदेखी

हर बार आदेश दिया लेकिन बिहार सरकार की ओर से केवल खानापूर्ति की गई

पटना, 19 मई (हि.स.)। चार मई को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा बिहार सरकार को चार हजार करोड़ के जुर्माने के पीछे की हकीकत राज्य सरकार की घोर अनियमितता है।

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल पर अमल को लेकर एनजीटी ने बिहार मामले में 2018 से अप्रैल 2023 के मध्य 118 बार सुनवाई की। हर बार आदेश दिया लेकिन बिहार सरकार की ओर से केवल खानापूर्ति की गई। अलग-अलग योजनाओं के तहत प्रस्तावित राज्य के 119 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों में से आठ अभी तक पूरे हो सके हैं। 68 का काम अभी अधूरा ही हैं। 43 फाइलों-निविदा की प्रक्रिया में धूल फांक रहे हैं।

एनजीटी ने क्षतिपूर्ति के बहाने चार हजार करोड़ की राशि ठोस और तरल कचरा प्रबंधन के लिए रखने को बाध्य किया है। यह राशि दो महीने के भीतर जुटानी है। चार मई को एनजीटी का फैसला, तीन मई को मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की ओर से अनुपालन प्रेजेंटेशन के रूप में जमा करने के बाद आया है। यह प्रेजेंटेशन ही सरकार की खतरनाक लेटलतीफी की कहानी कह रहा है।

सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद भी बिहार सरकार के कचरा प्रबंधन में असफल रहने के कारण एनजीटी ने रिंग फेंस्ड एकाउंट में क्षतिपूर्ति की चार हजार करोड़ की राशि रखने के लिए कहा है। रिंग फेंस्ड एकाउंट वह खाता है, जिसमें रखी राशि का खास मकसद (यहां कचरा प्रबंधन) के लिए खर्च करने की बाध्यता होती है। राशि का आकलन दो करोड़ रुपये प्रति मिलियन लीटर अशोधित सीवेज के आधार पर किया गया है। हर दिन 2,193 मिलियन लीटर अशोधित सीवेज के आधार पर क्षतिपूर्ति की राशि तय की गई है।

बिहार में कचरा प्रबंधन के आकंड़े

सॉलिड वेस्ट : (141 नगर निकायों में), कचरा-5437 टन प्रति दिन, प्रसंस्करण-1365 टन प्रति दिन, शेष कचरा-4072 टन प्रति दिन, सीवेज मैनेजमेंट : (110 नगर निकाय)

सीवेज, 2371 मिलियन लीटर शोधन-178.83 मिलियन लीटर शेष सीवेज 2,193 मिलियन लीटर। यह आकंड़े बिहार सरकार के मुख्य सचिव के आंकड़े द्वारा प्राप्त किए गए हैं।

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