भारत को साइबर व अंतरिक्ष के खतरों से निपटने में सक्षम बनाने का रक्षा मंत्री ने किया आह्वान
रक्षा मंत्री ने 261 एमटेक, एमएससी, 22 पीएचडी सहित 283 छात्रों को डिग्री बांटी
भारत की आत्मनिर्भरता के बिना वैश्विक मुद्दों पर स्वतंत्र निर्णय नहीं लिया जा सकता
नई दिल्ली, 15 मई (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत को साइबर और अंतरिक्ष से संबंधित उभरते खतरों से निपटने में पूरी तरह सक्षम बनाने का आह्वान किया। सोमवार को पुणे स्थित रक्षा उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान (डीआईए) के 12वें दीक्षांत समारोह में रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता के बिना वैश्विक मुद्दों पर स्वतंत्र निर्णय नहीं लिया जा सकता। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता का उद्देश्य अपने सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही अपने मित्र देशों की सुरक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति करना है।
अत्याधुनिक तकनीकों और रक्षा अनुसंधान के बीच गहरे संबंध पर प्रकाश डालते हुए राजनाथ सिंह ने डीआईएटी जैसे संस्थानों से नए नवाचारों के साथ आने का भी आह्वान किया, जो न केवल रक्षा क्षेत्र के लिए उपयोगी हैं, बल्कि नागरिकों के लिए भी समान रूप से प्रभावी हैं।
रक्षा में 'आत्मनिर्भरता' हासिल करने के लिए सरकार के दृष्टिकोण से अवगत कराते हुए रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत को साइबर और अंतरिक्ष से संबंधित उभरते खतरों से निपटने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी में प्रगति करनी चाहिए। आत्मनिर्भरता का मतलब अलगाव नहीं, बल्कि इसका अर्थ अपनी जरूरतों की पूर्ति करने के साथ-साथ मित्र देशों की भी आवश्यकताओं को पूरा करना है।
उन्होंने कहा कि यदि हमारे विरोधी के पास अधिक उन्नत प्रौद्योगिकियां हैं, तो यह भविष्य में हमारे लिए चिंता का कारण हो सकती हैं। बदलते समय के अनुरूप तकनीकी प्रगति की ओर तेजी से बढ़ने की तत्काल आवश्यकता है। यह जिम्मेदारी हमारी संस्थाओं की है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने चार सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जारी की हैं, जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 4,666 लाइन रिप्लेसमेंट यूनिट, सब-सिस्टम और पुर्जों के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने इन कदमों को रक्षा क्षेत्र में 'आत्मनिर्भरता' प्राप्त करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया।
दीक्षांत समारोह के दौरान डीआईएटी के कुलाधिपति और रक्षा मंत्री ने 261 एमटेक, एमएससी, 22 पीएचडी सहित 283 छात्रों को डिग्री प्रदान की। इस दौरान छात्रों को कुल 20 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।
राजनाथ सिंह ने डीआईएटी में किए गए विभिन्न अनुसंधान गतिविधियों के प्रयोगशाला प्रदर्शनों का भी अवलोकन किया। कार्यक्रम में रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव, डीआरडीओ के अध्यक्ष और गवर्निंग काउंसिल (डीआईएटी) के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. जी सतीश रेड्डी, डीआईएटी के कुलपति डॉ. सीपी रामनारायणन, डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं के महानिदेशक और निदेशक शामिल हुए।