नाट्य उत्सव में मिलेगा प्रसिद्ध रंगकर्मियों के अभिनय को देखने का अवसर

लखनऊ में 18 मई से शुरू होगा 'दर्पण' का दस दिवसीय नाट्य समारोह

लखनऊ, 12 मई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 18 मई से दस दिवसीय एक बड़ा राष्ट्रीय नाट्य उत्सव होने जा रहा है, जिसमें देश के प्रसिद्ध रंगकर्मियों को अभिनय करते देखने का अवसर मिलेगा। शहर के रंगप्रेमियों को यह अवसर नाट्य संस्था दर्पण के हीरक जयंती समारोह में मिलेगा। नाट्य उत्सव 27 मई तक चलेगा।

यह जानकारी 'दर्पण' के महासचिव एवं वरिष्ठ थियेटर एवं फिल्म आर्टिस्ट डॉ. अनिल रस्तोगी ने दी। उन्होंने बताया कि दरअसल संस्था की हीरक जयंती दो साल पहले 2021 में ही मनाई जानी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे आगे बढ़ाना पड़ा।

दर्पण के इस नाट्य उत्सव में प्रसिद्ध कलाकार अनूप सोनी, जूही बब्बर, और स्वयं डॉ. रस्तोगी भी नाटक में भाग लेते दिखेंगे। बताया इसमें सौ से अधिक रंगकर्मी शामिल होने आ रहे हैं। समारोह में पहले नौ नाटक गोमती नगर स्थित उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी में मंचित किए जाएंगें, वहीं अंतिम दिन समारोह में नाटक भारतेंदु नाट्य अकादमी में होगा। उन्होंने बताया 18 मई को उद्घाटन वाले दिन शो शाम को 6ः30 बजे से शुरू होगा। बाकी दिनों में शाम 7 बजे से शो होंगे।

उन्होंने बताया कि पहले दिन लखनऊ दर्पण की प्रस्तुति शुभदीप राहा के निर्देशन में नाटक 'स्वाहा' का मंचन होगा। वहीं दूसरे दिन 19 मई को मुबई की दि फिल्म एवं टेलीविजन सोसाईटी की ओर से 'प्रेम रामायण' होगा, जिसका निर्देशन अतुल सत्य कौशिक करेंगे। तीसरे दिन 20 तारीख को इन्हीं के निर्देशन में बालीगंज 1990 का मंचन होगा। चौथ दिने 21 मई को मुंबई की एकजुट संस्था की ओर से’ विद लव आपकी सैयारा का मंचन होगा, इसका निर्देशन जुही बब्बर करेंगी। 22 मई को नई दिल्ली की पियोट्स संस्था की प्रस्तुति 'गालिब इन न्यू देहली' का मंचन होगा। इसका निर्देशन डॉ. सईद आलम करेंगे। 23 को दर्पण, गोरखपुर की ओर से मनोज शर्मा के निर्देशन में 'महाबली' का मंचन किया जाएगा। इसके बाद 24 से 27 मई तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की ओर से नाटक क्रमशः अंधायुग, बायन, लैला मजनूं व माई रे माई का से कहूं का मंचन होगा। नाटक का अंतिम शो भारतेंदु नाट्य अकादमी प्रेक्षागृह में होगा। इस दिन कार्यक्रम शाम चार बजे से होगा।

संस्था के महासचिव डॉ अनिल रंस्तोगी ने बताया कि कानपुर मे साल 1961 में प्रो. सत्यमूर्ति में दर्पण नाट्य संस्था की स्थापना की थी। उसके दस साल बाद 1971 में इस शाखा की शुरूआत हुई थी।

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