वर्ल्ड थैलेसीमिया डे पर विशेष : थैलेसीमिया उन्मूलन में श्रेष्ठ कार्य कर गुजरात बना रोल मॉडल

रक्तदान में अग्रणी गुजरात में विभिन्न संस्थाओं के सेवा भाव से बीमारी पर नियंत्रण की कोशिश

अहमदाबाद, 7 मई (हि.स.)। दुनिया में 8 मई को विश्व थैलेसीमिया डे मनाया जाता है। थैलेसीमिया एक असाध्य और वंशानुगत रक्त दोष संबंधी बीमारी है। यह शरीर में हिमोग्लोबिन के निर्माण पर सीधा असर डालता है। इस भयावह रोग के प्रति लोगों में जागरूक करने के लिए ही थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है। गुजरात में थैलेसीमिया बीमारी को जड़-मूल से नष्ट करने के लिए राज्य सरकार पिछले 15 साल से श्रेष्ठ कार्य कर रही है। कई नवोचार कर गुजरात अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल बना है।

इस अभियान के तहत राज्य सरकार ने सभी सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं का थैलेसीमिया जांच शुरू कराई है। अब तक करीब 7 लाख गर्भवती महिलाओं का थैलेसीमिया की जांच कराई गई है। इस प्रक्रिया से अब तक 500 गर्भस्थ थैलेसीमियाग्रस्त बच्चों का जन्म होने से रोका जा सका है। गुजरात सरकार ने थैलेसीमिया निवारण के लिए थ्री स्तर पर थैलेसीमिया स्क्रीनिंग की भी है। केन्द्र सरकार के नेशनल हेल्थ मिशन और विविध सेवाभावी संस्थाओं की मदद से राज्य सरकार ने यूनिवर्सिटी स्तर पर ही विद्यार्थियों की थैलेसीमिया स्क्रीनिंग करना शुरू किया है। सतर्क सरकार ने कम्युनिटी स्क्रीनिंग योजना लागू की है।

गुजरात में हर साल 2 से 3 लाख लोगों की थैलेसीमिया जांच कराई जाती है। अब तक कुल 40 लाख से अधिक लोगों की थैलेसीमिया जांच कराई जा चुकी है। गुजरात सरकार के साथ रेड क्रॉस सोसायटी, थैलेसीमिया जागृति फाउंडेशन और थैलेसीमिया गुजरात जैसी कई संस्थाएं इस महामारी के उन्मूलन के लिए कार्य कर रही हैं। इसके अलावा थैलेसीमियाग्रस्त बच्चों को वार्षिक 15 से 60 बोतल रक्त की जरूरत होती है। गुजरात सरकार विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से समग्र राज्य में रक्तदान का महाअभियान चलाती है। गुजरात देशभर में रक्तदान के मामले में भी अग्रणी है।

क्या है थैलेसीमिया बीमारी

थैलेसीमिया एक आनुवांशिक बीमारी है। इस बीमारीग्रसित होने के बाद शरीर में पर्याप्त मात्रा में रक्त बनाना बंद हो जाता है। थैलेसीमियाग्रस्त व्यक्ति के अस्थिमज्जा से लौहतत्व का हीमोग्लोबिन में रूपान्तरण नहीं हो पाता है। इसके कारण शरीर के अन्य अवयवों का पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। इससे शरीर के अवयवों की कार्यक्षमता घटती है। थैलेसीमियाग्रस्त व्यक्ति के शरीर के अवयवों के कमजोर होने से कई तरह की बीमारी शरीर को ग्रस्त कर लेती है।

थैलेसीमिया के प्रकार

थैलेसीमिया जागृति फाउंडेशन के अनुसार थैलेसीमिया सामान्य रूप से दो प्रकार का होता है, थैलेसीमिया माइनर और थैलेसीमिया मेजर। माता-पिता में से यदि किसी एक में क्रोमोजोम में खामी होती है तो संतान में माइनर थैलेसीमिया हो सकता है। यदि माता-पिता दोनों में गुणसूत्रों (क्रोमोजोम) में खामी हो तो थेलेसीमिया मेजर हो सकता है। थैलेसीमिया माइनर को थैलेसीमिया कैरियर अथवा थैलेसीमिया वाहक भी कहा जाता है। भारत में लगभग 4 से 5 करोड़ लोग थैलेसीमिया वाहक हैं, और 10 में से 8 लोगों को यह भी पता नहीं है कि वे थैलेसीमिया वाहक हैं।

इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी की गुजरात शाखा की हीमोग्लोबिनोपैथी समिति के अध्यक्ष डॉ. अनिल खत्री कहते हैं, अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के अलावा थैलेसीमिया मेजर का कोई स्थायी इलाज नहीं है। थैलेसीमिया को जड़ से खत्म करने के लिए शादी या गर्भधारण से पहले सभी को थैलेसीमिया माइनर की जांच करानी चाहिए। माइनर को माइनर से शादी नहीं करनी चाहिए। अगर अनजाने में भी शादी हो जाती है तो गर्भ में पल रहे बच्चे की जांच करानी चाहिए। यदि शिशु अधिक उम्र का है तो कानूनी गर्भपात अनिवार्य है।