विश्व फलक पर चमकेगा शिव-शक्ति-संगम, गंगा की लहरों संग भरेगा उड़ान

आर्थिक विकास के इतिहास में जुड़ेगा स्वर्णिम अध्याय, खुलेंगे तरक्की के द्वार

विश्व फलक पर चमकेगा शिव-शक्ति-संगम, गंगा की लहरों संग भरेगा उड़ान

मीरजापुर, 29 अप्रैल (हि.स.)। प्राचीन इतिहास के साथ धार्मिक व सांस्कृतिक विरासत समेटे विंध्य क्षेत्र अब विकास की नई इबारत लिखेगा। धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि से परिपूर्ण विंध्य क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। पर्यटन विकास से राजस्व में वृद्धि होने के साथ अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा ही, तरक्की के द्वार भी खुलेंगे और आर्थिक विकास के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय जुड़ेगा।

बढ़ेंगे विदेशी पर्यटक, होगा रोजगार सृजन, विकास की नई इबारत लिखेगा विंध्य क्षेत्र

वैसे धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से काशी को दुनिया का केंद्र माना जाता है। काशी में विश्व भर से पर्यटक आते हैं। अब तो काशी की अबो-हवा ही नहीं, अर्थव्यवस्था भी काफी बदल चुकी है। काशी विश्वनाथ की तर्ज पर विंध्य-कारिडोर का निर्माण होने से शिव-शक्ति यानी बाबा काशी विश्वनाथ व मां विंध्यवासिनी के साथ मां गंगा का मिलन स्थल विश्व फलक पर शुमार होगा ही, सुविधाएं बढ़ेंगी, पर्यटक बढ़ेंगे और रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। विंध्य काॅरिडोर निर्माण के साथ अष्टभुजा व कालीखोह को मिलाकर शक्तिपीठ सर्किट बनाया जाएगा। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही पर्यटक गंगा की लहरों संग शिव-शक्ति-संगम का लुत्फ उठा सकेंगे। काशी, चुनार व विंध्याचल तक क्रूज संचालन का ट्रायल हो चुका है। जल्द ही क्रूज संचालन पूर्ण रूप से शुरू होगा। इससे विदेशी पर्यटक भी बढ़ेंगे।

जल परिवहन की दिशा में दुनिया के सामने नई मिसाल पेश करेगा शिव-शक्ति-संगम

जल्द ही काशी आने वाले पर्यटक क्रूज से ही विंध्याचल और प्रयागराज तक सफर कर सकेंगे। पर्यटन को उड़ान देने के लिए अब वाराणसी से प्रयागराज तक गंगा दर्शन के साथ ही सफर भी संभव हो सकेगा। अलकनंदा के बाद गंगा की लहरों पर तीन और क्रूज सवार होने को तैयार हैं। इसके लिए एक क्रूज को वाराणसी से चुनार, दूसरे को वाराणसी से विंध्याचल और तीसरे को वाराणसी से प्रयागराज तक संचालन के लिए तैयार किया जा रहा है। पर्यटकों की सुविधा के दृष्टिगत जल परिवहन विभाग ने एक साथ तीन जलपोतों को मझधार में उतारने का फैसला किया है। दो मंजिला क्रूज और इंडियन वाटरवेज अथॉरिटी से मिले दोनों रोरो (रोल आन रोल पैसेंजर शिफ्ट) को धार्मिक पर्यटन के सर्किट के रूप में प्रयोग किया जाएगा। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने बनारस को दो रो-रो दिए हैं। एक रो-रो का नाम विवेकानंद और दूसरे रो-रो का नाम सैम मानेकशां है।

इसी तरह प्रदेश सरकार ने दो मंजिला क्रूज वाराणसी के पर्यटन को गति देने के लिए मंगाया है। अब इसमें रो- रो को वाराणसी से प्रयागराज और विंध्याचल तक संचालन कराया जाएगा। जबकि लोक निर्माण विभाग से मिले क्रूज को कैथी महादेव से चुनार तक संचालित किया जाएगा।

एक मीटर गहराई में सुगमता से चलेगा रो-रो

दो मंजिला क्रूज के अंदर की साज-सज्जा में काशी के धार्मिक और आध्यात्मिक नजारे के साथ ही यहां के धरोहर का इतिहास भी दर्शाया गया है। साथ ही सैलानियों को जानकारी देने के लिए बड़ी स्क्रीन लगी है। यह क्रूज 12 से 15 किलोमीटर की रफ्तार से एक मीटर गहरे पानी में भी सुगमता से चल सकता है। इसके साथ ही क्रूज में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के लिए इसमें चार लाइव राफ्ट हैं, जो आपातकालीन स्थिति में खुद ही नदी में जाकर खुल जाएंगे और एक फ्लोटिंग टेंट के आकार का बोट बन जाएगा।

विंध्य क्षेत्र की सैर कराएगा रो-रो

200 पर्यटकों की क्षमता वाले रो-रो को दो अलग-अलग रूटों पर चलाने की योजना है। इसमें एक रो-रो खिड़किया घाट से विंध्याचल और दूसरा खिड़कियां घाट से प्रयागराज तक चलाने की तैयारी है। दोनों ही रो रो में ट्रक कार और बाइक तक लद सकते हैं। इसकी गति अपस्ट्रीम में छह से सात और डाउनस्ट्रीम में 12 से 13 किलोमीटर होगी। हालांकि इसके रूट पर मंथन किया जा रहा है और इसके लिए जेटी निर्माण आदि की बाधा को दूर करने की योजना भी बनाई जा रही है।

जल परिवहन के जरिए शिव-शक्ति-संगम को जोड़ने की योजना

अलकनंद क्रूज लाइन के निदेशक विकास मालवीय ने बताया कि क्रूज और रो-रो के संचालन के लिए रूट आदि तय किया जा रहा है। जल परिवहन के जरिए विंध्याचल और प्रयागराज को जोड़ने की योजना है। जल्द ही काशी से चुनार, विंध्याचल व प्रयागराज तक के लिए एक क्रूज और दो रो-रो गंगा में संचालित किए जाएंगें। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही शिव-शक्ति-संगम जल परिवहन की दिशा में दुनिया के सामने नई मिसाल पेश करेगा।

मां विंध्यवासिनी की महिमा का एहसास कराएगा विंध्य क्षेत्र

प्रयागराज हो या वाराणसी विंध्य नगरी में प्रवेश करने से पहले भव्य द्वार आपका स्वागत करेगा और विंध्य नगरी में प्रवेश करते ही दीवारों पर उकेरी गई मां विंध्यवासिनी की तस्वीर उनकी महिमा का एहसास कराएगा। विंध्य क्षेत्र लोक संस्कृति के साथ वैज्ञानिक दृष्टि से भी खास है। विंध्याचल धाम की महत्ता त्रेतायुग में भी थी। लंकाधिपति रावण विंध्याचल को ही पृथ्वी का केंद्र मानकर अपनी ज्योतिष गणना यहीं से करता था।

विंध्य क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता व धार्मिक वातावरण

मीरजापुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर है। मीरजापुर जिला का मुख्यालय है। पर्यटन की दृष्टि से मीरजापुर काफी महत्वपूर्ण जिला माना जाता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक वातावरण बरबस लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। मीरजापुर स्थित विंध्याचल धाम भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। इसके अतिरिक्त, यह जिला सीता कुंड, लाल भैरव मंदिर, मोतिया तालाब, टांडा फाल, विंढम फाल समेत तमाम जलप्रपात, झरना, तारकेश्वर महादेव, महात्रिकोण, शिवपुर, चुनार किला, गुरूद्वारा और रामेश्वरम मंदिर आदि के लिए प्रसिद्ध है। रामेश्वरम मंदिर शिवपुर में भगवान श्रीराम ने 'गया' जाते समय अपने पिता का पिंडदान किया था। 

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