अंबाजी में स्थापित होगा विश्व का सबसे बड़ा व महंगा श्रीयंत्र

2200 किलो वजन, 4.5 फीट ऊंचा, पिरामिड आकार का है मेरु यंत्र

अंबाजी में स्थापित होगा विश्व का सबसे बड़ा व महंगा श्रीयंत्र

एक करोड़ रुपये की लागत, पंचधातु निर्मित दिव्य यंत्र होगा अंबे माता को अर्पित

अंबाजी/अहमदाबाद, 20 अप्रैल (हि.स.)। बनासकांठा जिले की दांता तहसील स्थित आद्यशक्ति आरासुरी अंबा माता के धाम अंबाजी में विश्व का सबसे बड़ा व महंगा श्रीयंत्र स्थापित किया जाएगा। श्री यंत्र पंचधातु से निर्मित 2200 किलो वजनी होगा। साढ़े चार फीट ऊंचे श्रीयंत्र का आकार पिरामिड का होगा। इसके निर्माण में कुल लागत करीब एक करोड़ रुपये होगा। इन दिनों 25 कारीगर दिन-रात मेहनत कर इसका निर्माण कर रहे हैं। हाल में विश्व का सबसे बड़ा श्री यंत्र उत्तराखंड के डोलाश्रम में स्थापित है, जो कि साढ़े तीन फीट का है।

श्रीयंत्र का निर्विघ्न निर्माण हो, इसके लिए अहमदाबाद के जय भोले ग्रुप के सदस्य श्रीयंत्र की 32 किलो की प्रतिकृति के साथ अंबाजी से 1200 किलोमीटर की चार धाम की यात्रा के लिए रवाना हुए हैं। इस अवसर पर जय भोले ग्रुप अहमदाबाद के दीपेश पटेल ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े श्री यंत्र के निर्माण के लिए दो महीने से कार्य चल रहा है। इसका निर्माण पूरा होने में अभी दो महीने का समय और लग सकता है। इस कार्य में किसी तरह का विघ्न या बाधा नहीं आए, इसके लिए वे 32 किलो के श्री यंत्र की प्रतिकृति के साथ अंबाजी से चार धाम की यात्रा पर रवाना हो रहे हैं। इन्हें पालनपुर से कलक्टर ने रवाना कराया। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के डोलाश्रम जाने के बाद उनके मन में विश्व का सबसे बड़ा श्री यंत्र बनाने का विचार आया। इस श्री यंत्र को माता जी के दरबार में स्थापित करने के लिए तांबा, पीतल, लोहा, सोना और चांदी मिलाकर कुल पांच धातुओं का इस्तेमाल किया गया है।

इसलिए महत्व है श्री यंत्र का:

श्री विद्या के अनुसार श्री यंत्र तीन प्रकार के मेरु, भूपृष्ठ और कूर्म पृष्ठ होते हैं। इसमें सबसे श्रेष्ठ व उच्च मेरु श्री यंत्र कहा जाता है। यह पिरामिड के आकार का होता है। भूपृष्ठ यंत्र जमीन को छूता हुआ और कूर्म पृष्ठ श्री यंत्र कछुआ की पीठ जैसा मुड़ा हुआ होता है। श्री यंत्र की देवी ललिता त्रिपुर सुंदरी कही जाती हैं। जिन्हें माता लक्ष्मी और सरस्वती चामर डुलाती हैं। इस वजह से यह कहा जाता है कि श्री यंत्र की पूजा, आराधना से धन, वैभव, यश, कीर्ति, ऐश्वर्य और मोक्ष के साथ सद्बुद्धि व विद्या की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी और सरस्वती के समन्वय से लोगों के जीवन में सुख-शांति जैसी भावना के साथ श्री यंत्र की पूजा की जाती है। आज से करीब 1200 वर्ष पहले शृंगेरी मठ के शंकराचार्य ने मठ में स्वर्ण श्री यंत्र की स्थापना कर उसकी पूजा की थी। इससे दीपेश पटेल ने श्री यंत्र के निर्माण में शृंगेरी मठ के शंकराचार्य के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त कर शास्त्रों में वर्णित विधि-विधान के साथ इस श्री यंत्र का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें श्री भगवती राज राजेश्वरी, श्री विद्यामंदिर, हिमाचल प्रदेश के दंडी स्वमी जय देवांग महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया गया है।

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