गुजरात : केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने तमिलनाडु में बसे सौराष्ट्रवासियों के योगदान को याद किया 

धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए समुद्री मार्ग से पलायन कर तमिलनाडु गए सौराष्ट्र मूल के तमिल लोग फिर से प्रथम ज्योतिर्लिंग भगवान सोमनाथ के सान्निध्य में अपनी पैतृक भूमि पर आए हैं

गुजरात : केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने तमिलनाडु में बसे सौराष्ट्रवासियों के योगदान को याद किया 

भारत की विशेषता विविधता में एकता है

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने सौराष्ट्र-तमिल संगम के शुभारंभ अवसर पर तमिलनाडु से पधारे बंधुओं का स्वागत करते हुए कहा कि अपने धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए समुद्री मार्ग से पलायन कर तमिलनाडु गए सौराष्ट्र मूल के तमिल लोग फिर से प्रथम ज्योतिर्लिंग भगवान सोमनाथ के सान्निध्य में अपनी पैतृक भूमि पर आए हैं। भारत की विशेषता विविधता में एकता है, परंतु इस एकता को अधिक सुदृढ़ करने के लिए सांस्कृतिक, शैक्षणिक, खान-पान तथा व्यावसायिक आदान-प्रदान कर ‘सौराष्ट्र-तमिल संगम’ कार्यक्रम द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘एक भारत-श्रेष्ठ’ भारत की 
संकल्पना और जनसमुदाय को अपने मूल के साथ जोड़ने की परिकल्पना मूर्त रूप होने जा रही है। भारत के प्रत्येक क्षेत्र में, प्रत्येक प्रांत के एक-दूसरे के साथ संबंध अधिक मजबूत बनाने और एकता के साथ देश को श्रेष्ठता प्राप्त कराने के लिए हमारे प्रधानमंत्री जी प्रतिबद्ध हैं। श्री मांडविया ने प्रभास पाटण के इतिहास तथा ऐतिहासिक पलायन के विषय में बता कर तमिलनाडु में बसने वाले सौराष्ट्र वासियों के योगदान को याद किया।

 ‘सौराष्ट्र-तमिल संगम’ कार्यक्रम से तमिल व गुजरात के लोगों के बीच संबंध अधिक सुदृढ़ होंगे : तमिलिसाई सौंदरराजन

तेलंगाना तथा पुड्डुचेरी की राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सौंदराराजन ने अपने संबोधन में सौराष्ट्र और तमिलनाडु के बीच संबंधों तथा सौराष्ट्र जनता के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि विदेशी आक्रमणों से विस्थापित हुए सौराष्ट्र वासियों को स्वीकार करने वाले शासक तिरुमलाई नाइक्कर और राजकुमारी गुजराती कारीगरों द्वारा बने सिल्क वस्त्र पहनते और प्रशंसा करते हुए कहते कि यदि हमारे सौराष्ट्र के सिल्क कारीगर यहाँ न आए होते, तो हमें चीनी व यूरोपीय सिल्क से भी श्रेष्ठ सिल्क पहनने को नहीं मिलता। 

तुलसीराम ने सौराष्ट्र मूल के तमिल निवासियों की शिक्षा व विकास में बहुत योगदान दिया था

तमिल समाज में अपनी समाज सेवा के कार्यों से ख्याति प्राप्त एल. के. तुलसीराम को याद करते हुए डॉ. तमिलिसाई सौंदराराजन ने कहा कि तुलसीराम मूल गुजराती थे। तुलसीराम ने सौराष्ट्र मूल के तमिल निवासियों की शिक्षा व विकास में बहुत योगदान दिया था। डॉ. सौंदराराजन ने आगे कहा कि राष्ट्र-तमिल संगम कार्यक्रम से तमिल तथा गुजरात के लोगों के बीच संबंध अधिक सुदृढ़ होंगे और विश्व बंधुत्व की भावना 'யாதும் ஊரே யாவரும் கேளிர்' यानी “पृथ्वी पर सभी स्थान हमारे शहर हैं और सभी लोग हमारे रिश्तेदार हैं” मजबूत होगी।

तमिल-गुजराती कलाकारों ने लोक नृत्यों तथा लोक संगीत की अद्भुत फ़्यूज़न प्रस्तुति की 

उद्घाटन समारोह में तमिल-गुजराती कलाकारों ने लोक नृत्यों तथा लोक संगीत की अद्भुत फ़्यूज़न प्रस्तुति की जिसे देखकर ‘सौराष्ट्र तमिल संगम’ में पधारे हजारों दर्शकों अभीभूत हुए। इस अवसर पर नवसारी के सांसद सी. आर. पाटिल, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेशभाई पटेल, पर्यटन मंत्री मुळूभाई बेरा, सांसद सर्वश्री राजेशभाई चुडासमा, सुश्री पूनमबेन माडम, रामभाई मोकरिया, ज़िला पंचायत परमुख रामीबेन वाजा, विधायक सर्वश्री भगवानभाई बारड, काळूभाई राठोड, प्रद्युमनभाई वाजा, विमलभाई चुडासमा, महेन्द्रभाई पीठिया, पर्यटन विभाग के सचिव, हरीत शुक्ला, युवा, सेवा एवं सांस्कृतिक विभाग के आयुक्त हर्षद कुमार पटेल, जिला कलेक्टर ए. के. वढवाणिया, ज़िला विकास अधिकारी रविन्द्र खटाले, सोमनाथ ट्रस्ट के ट्रस्टी सर्वश्री पी. के. लहरी, जे. डी. परमार, के साथ-साथ सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी, भक्त कवि नरसिंह मेहता यूनिवर्सिटी, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी-जूनागढ, भावनगर यूनिवर्सिटी, सोमनाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी के कुलपति सहित अन्य कई महानुभाव उपस्थित थे।

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