सूरत : 'साड़ी पिछड़ापन नहीं, गौरवपूर्ण विचार- साड़ी वॉकथॉन से उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा!'

सूरत मिनी इंडिया है, यहा की साडी देश के सभी राज्यों में जाती है

सूरत : 'साड़ी पिछड़ापन नहीं, गौरवपूर्ण विचार- साड़ी वॉकथॉन से उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा!'

साड़ी कोई कपड़ा नही बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और पहचान हैः मनपा आयुक्त शालिनी अग्रवाल

साड़ी कोई कपड़ा या परिधान नहीं बल्कि भारत की आत्मा है। यह एक ऐसी समृद्ध विरासत और शक्ति है जिसे तुच्छ शब्दों में पिरोया नहीं जा सकता है। अगर कोई महिला साड़ी पहनकर खड़ी हो तो दुनिया के किसी भी कोने का व्यक्ति समझ जाएगा कि वह भारत की है। देश में साड़ियों का योगदान इतना अधिक है कि इसकी गणना करना कठिन हो जाता है। मधुबनी, चौपाई, मूंगा रेशम, कथा, कोसा रेशम, तांची, जामदानी, जामवार, बलूचरी, चुंदडी, पटोला, बनारसी, तांगेल आदि कई प्रकार की साड़ियां हैं।

ये साड़ियां पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण की विविधता के बीच एकता को दर्शाती हैं। देश की आधी आबादी एक सूत्र में समा गई है। साड़ी दुनिया के प्राचीन परिधानों में से एक है। आज सूरत अपनी साड़ियों के लिए जाना जाता है। साड़ी ने सूरत को मिनी इंडिया बना दिया है। इस पेशे से जुड़े राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, महाराष्ट्र और ऐसे तमाम राज्यों के लोग यहां आकर बसे हैं। आज आप सूरत के अलग-अलग इलाकों में घूमें तो वहां की महिलाओं के पहनावे से पता चलता है कि उस इलाके में उस राज्य के लोग ज्यादा रहते हैं।

साड़ी वॉकथॉन का एक उद्देश्य फिट इंडिया का संदेश देना भी है। इसका मकसद भी खास है। जिम और फिटनेस महिलाओं की पहुंच से बाहर हैं। महिलाएं घर के कामकाज में इतनी व्यस्त रहती हैं कि जानते हुए भी फिटनेस के लिए समय नहीं दे पातीं। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी का संदेश मेड इन इंडिया, वोकल फॉर लोकल और इसमें साड़ी उद्योग का बहुत बड़ा योगदान है। देश में लाखों लोग और बुनकर साड़ी के कारोबार से जुड़े हैं। यह योजना उसे ताकत देगी। खासकर युवाओं का एक वर्ग इसे बूढ़ा मानता है।

दरअसल साड़ी पिछड़ापन नहीं बल्कि गर्व की सोच है। हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, वोहरा और लगभग हर समुदाय की महिलाएं साड़ी पहनती हैं। साड़ी वॉकथॉन वास्तव में भारत की इस समृद्ध विरासत और परंपरा को प्रदर्शित करने और बढ़ाने का संदेश है। साड़ी व्यवसाय के कारण सूरत भारत का मैनचेस्टर बन गया है। आज सूरत में कपड़ा व्यापार सालाना 80 हजार करोड़ से ज्यादा का है और करीब 15 लाख लोगों को रोजगार देता है। भारत वर्तमान में G20 का नेतृत्व कर रहा है। साड़ी वॉकथॉन में G20 की W20 (महिला 20) ने भी भाग लिया जो सूरत के लिए गर्व की बात है।

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