सेहत से खिलवाड़ : देश में 9,717 में से 3,399 दूध के नमूने पीने योग्य नहीं पाये गये!

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में सामने आई चौंकाने वाली जानकारी

सेहत से खिलवाड़ : देश में 9,717 में से 3,399 दूध के नमूने पीने योग्य नहीं पाये गये!

दूध हर घर का एक बहुत अहम हिस्सा है। हर घर में दिन की शुरुआत में चाय या कॉफ़ी, बच्चों के नाश्ते से लेकर रात में सोने तक दूध का बहुत महत्व है। ऐसे में अगर आपको पता चले कि आप जो दूध शुद्ध समझकर पी रहे हैं वो असल में शुद्ध है ही नहीं तो! आपको कैसा लगेगा? यकीनन आप अपने अप को ठगा हुआ महसूस करेंगे पर और चाहेंगे की ऐसा कुछ भी न हो पर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों को जानकर आपको दुःख जरुर होगा। दरअसल केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 में संबंधित अधिकारियों द्वारा जांच किए गए कुल 9,717 में से 3,399 दूध के नमूने गैर-अनुरूप पाए गए। जाँच में 524 मामलों में दोषी पाए जाने के बाद अधिकारियों ने दोषियों से जुर्माने के रूप में 6,62,12,595 रुपये वसूल किए। वहीं 2019-20 में जांच किए गए कुल 12,538 नमूनों में से 4,779 नमूने अयोग्य पाए गये थे। इसके बाद 688 मामलों में सजा के बाद कुल 9,05,85,125 रुपये की पेनाल्टी वसूली गई थी।

एफएसएसएआई की है ये जिम्मेदारी

आपको बता दें कि 2006 के खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (FSS अधिनियम 2006) के प्रावधानों के अनुसार, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) को खाद्य उत्पादों के लिए विज्ञान-आधारित मानक स्थापित करने और उनके उत्पादन को नियंत्रित करने वाले कानूनों को लागू करने की जिम्मेदारी के साथ बनाया गया था। इसका प्रमुख उद्देश्य  मानव उपभोग के लिए पौष्टिक, सुरक्षित भोजन की उपलब्धता को सुलभ करने के लिए भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात सुनिश्चित करना है। राज्य सभा में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा एक उत्तर में बताया गया कि जाँच FSSAI के अनुसार, दूध के मानकों को खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियम, 2011 के उप-विनियम 2.1.2 में निर्दिष्ट नियम के अनुसार किया गया है।

नियमित जाँच की जाती है आयोजित

गौरतलब है कि मिलावटी भोजन की जांच करने के लिए, FSSAI द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर दूध और दूध उत्पादों की बिक्री और उत्पादन में लगे लोगों सहित खाद्य व्यापार संचालकों (FBOs) की निगरानी नियमित रूप से आयोजित की जाती है, साथ ही उनकी निगरानी योजनाओं के अनुसार राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा निगरानी अभियान चलाए जाते हैं। इस जाँच में  यदि कोई ऐसा पदार्थ पाया जाता है जो दूध को उपभोग के लिए असुरक्षित बनाता है, तो एफएसएस अधिनियम, 2006 के नियमों और विनियमों के प्रावधानों के अनुसार राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा चूक करने वाले एफबीओ के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू की जाती है।