पश्चिम बंगाल : पत्नी की हत्या के आरोप में बीते 14 साल से जेल में सजा काट रहा शख्स अब निकला ‘निर्दोष’, उच्चतम न्यायालय ने किया बरी

पश्चिम बंगाल : पत्नी की हत्या के आरोप में बीते 14 साल से जेल में सजा काट रहा शख्स अब निकला ‘निर्दोष’, उच्चतम न्यायालय ने किया बरी

अदालत का कहना शक का आधार कितना भी मजबूत क्यों न हो, वह सबूत की जगह नहीं ले सकता

भारतीय कानून व्यवस्था का सिद्धांत है कि भले ही दस आरोपी छुट जाये पर किसी निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए पर अब एक ऐसा मामला सामने आया है जो इस सिद्धांत के बिलकुल विपरीत बात को दिखाताहै। पश्चिम बंगाल के निखिलचंद्र मोंडल नाम के शख्स पिछले 13 साल से अपनी पत्नी की हत्या करने के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। बीते कई सालों से वह खुद को निर्दोष साबित करने के लिए कानून की लड़ाई लड़ रहा ये शख्स अब जाकर  इस मामले में बेगुनाह साबित हुए। लेकिन अब जब उनको अपराधमुक्त कर दिया गया है तब तक 64 साल के हो चुके हैं। पीठ ने पिछले हफ्ते बरी कर दिया।

शक नहीं हो सकता सबूत

आपको बता दें कि इस मामले में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा कि एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल कन्फेशन में सबूत कमजोर होते हैं और खासतौर पर इसकी जांच के दौरान लौटा दिए जाते हैं। इसकी पुष्टि के लिए पुख्ता सबूतों की जरूरत है। और यह प्रमाणित और ज्ञात होना चाहिए कि यह सभी प्रकार से सत्य और स्वैच्छिक है। खंडपीठ ने कहा कि यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि संदेह कितना भी मजबूत क्यों न हो, संदेह के आधार पर साक्ष्य के बिना अपराध को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। शक भले ही कितना भी मजबूत क्यों न हो पर वो पुख्ता सबूत की जगह नहीं ले सकता।

राज्य सरकार ने दी थी इस फैसले को चुनौती 

निचली अदालत ने 31 मार्च 1987 को आरोपी को बरी कर दिया। लेकिन राज्य सरकार इसे कलकत्ता उच्च न्यायालय ले गई। जहां उन्हें 15 दिसंबर 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। लेकिन उन्होंने खुद को निर्दोष बताने के लिए हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में विरोधाभास नजर आया और उन्हें बरी कर दिया गया।