
गुजरात : पहली से आठवीं कक्षा में अनिवार्य गुजराती भाषा पढ़ाने का विधेयक सर्वसम्मति से पारित
कक्षा 1 से 8 तक सभी शैक्षणिक संस्थानों में गुजराती विषय अनिवार्य किया जाएगा, उल्लंघन करने वालों पर 2 लाख का जुर्माना : शिक्षा मंत्री
राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को मातृभाषा-गुजराती अनिवार्य रूप से सिखाई जाए यह सुनिश्चित करने के लिए गुजरात अनिवार्य गुजराती भाषा शिक्षा और अध्ययन विधेयक, 2023 का मसौदा तैयार किया गया है। राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों में कक्षा 1 से 8 तक गुजराती भाषा के अनिवार्य शिक्षण का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है। जिसमें राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पाठ्यपुस्तकों को पढ़ाया जाना होगा।
तीन उल्लंघन करने पर राज्य के गैर सहायता प्राप्त स्कूलों की मान्यता रद्द किया जाएगा
शिक्षा मंत्री डॉ. कुबेरभाई डिंडोरे ने कहा कि इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले स्कूल संचालकों पर जुर्माना लगाने और इस तरह के तीन उल्लंघन करने पर राज्य के गैर सहायता प्राप्त स्कूलों की मान्यता रद्द करने जैसी सख्त कार्रवाई करने का प्रावधान इस अधिनियम में किया गया है।
गुजराती भाषा विधेयक के प्रावधान
सभी विद्यालयों में कक्षा-1 से कक्षा-8 तक गुजराती पढ़ाना अनिवार्य है। पहली बार नियम तोड़ने के बाद रु. 50,000 जुर्माना, दूसरी बार नियम का उल्लंघन करने पर रु. 1,00,000 जुर्माना, तीसरी बार नियम का उल्लंघन करने पर रु. 2,00,000 जुर्माना का प्रावधान है। जबकि तीन बार से अधिक उल्लंघन करने पर शिक्षण संस्थान की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। यह कानून राज्य के हर बोर्ड और स्कूल पर लागू होगा। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार जुर्माने के अलावा सजा का भी प्रावधान है। कानून का पालन कराने के लिए उप निदेशक (नायब नियामक) की नियुक्ति की जाएगी। गुजरात बोर्ड को छोड़कर सभी
बोर्ड में गुजराती अनिवार्य है, जिसमें सीबीएसई विद्यालय एवं केंद्रीय विद्यालय भी शामिल हैं।
गुजरात की आधिकारिक भाषा होने के बावजूद कुछ स्कूलों में गुजराती भाषा नहीं पढ़ाई जाती : शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि गुजराती गुजरात की आधिकारिक भाषा होने के बावजूद कुछ स्कूलों में गुजराती को एक विषय के रूप में भी नहीं पढ़ाया जाता है, जिसके कारण राज्य के निवासी अपनी आधिकारिक भाषा से वंचित रह जाते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए, गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग ने 2018 में प्रस्ताव बनाकर राज्य की गुजराती माध्यम को छोड़कर सभी स्कूलों में वर्ष 2018 में कक्षा-1 एवं 2 , वर्ष 2019 में कक्षा-3 एवं वर्ष 2020 में कक्षा-4 इस तरह क्रमशः कक्षा 8 तक गुजराती भाषा की शिक्षा अनिवार्य अमल करने का आदेश दिया था।
नई शिक्षा नीति में भी मातृभाषा का जिक्र है
नई शिक्षा नीति में भी मातृभाषा और भारतीय संस्कृति दोनों को ध्यान में रखते हुए अन्य भारतीय भाषा का चयन दूसरी भाषा के रुप में करने का प्रावधान है। विश्व के विकसित देशों में हुए एक अध्ययन के अनुसार अपनी मातृभाषा का उपयोग संस्कृति एवं परंपराओं में सुशिक्षित होना कोई बाधा नहीं है, बल्कि वास्तव में शैक्षिक, सामाजिक और तकनीकी प्रगति के लिए लाभदायक है।
स्कूलों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी
गुजरात राज्य के सभी स्कूलों के अलावा, अंग्रेजी माध्यम की सीबीएससी स्कूलों एवं अंतरराष्ट्रीय स्कूलों को भी शामिल किया गया हैं। प्रदेश में कक्षा 1 से 8 तक यदि कोई विद्यालय गुजराती भाषा नहीं पढ़ाता है तो उसके विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जायेगी। साथ ही दण्ड के प्रावधान के अनुसार कार्यवाही की जायेगी। पहली दो बार स्कूल पर आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है। तीसरी बार नियम का पालन नहीं करने पर प्रतिदिन का दंड एवं जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।